Throwback Thursday: एलन गलानी ने खुद से ज्यादा ताकत वाले एथलीट को हराया
एलन “द पैंथर” गलानी कभी चुनौतियों से पीछे नहीं हटे हैं, तब भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी थी जब उनका सामना बॉब सैप जैसे 150 किलोग्राम जैसे जायंट एथलीट से हुआ था।
सैप को कॉम्बैट स्पोर्ट्स के सबसे तगड़े एथलीट्स में से एक माना जाता रहा है और वो K-1 वर्ल्ड ग्रां प्री और Pride FC इवेंट्स में अपने मनोरंजक कैरेक्टर के कारण बहुत बड़े स्टार बनने में सफल रहे थे। इसलिए 2009 में जब सैप और गलानी का मैच हुआ तो गलानी जानते थे कि उनका मुकाबला किसके साथ हो रहा है।
कैमरून में जन्मे गलानी ने कहा, “मैंने बॉब सैप के बारे में पहले भी सुना था और उनकी फाइट्स भी देखी थीं। वो वाकई में एक बीस्ट हैं और मेरे साइज से करीब दोगुने रहे होंगे।”
“उनका बॉडी साइज साइज अविश्वसनीय है और वो बहुत ताकतवर भी हैं लेकिन मैं उस चुनौती से पहले बहुत उत्साहित महसूस कर रहा था क्योंकि मुझे बड़ी चुनौतियां पसंद हैं। इसलिए तो मैं फाइट करता हूं। सर्कल में आने के बाद मुझे अपना बेस्ट प्रदर्शन करना होता है, फिर चाहे जीत मिले या हार।
“ये सब उस बात पर निर्भर करता है कि आपके सामने चुनौती कितनी बड़ी है लेकिन मेरा हमेशा मानना रहा है कि यहां कुछ भी हो सकता है। एक एथलीट को केवल खुद पर भरोसा और आत्मविश्वास होना चाहिए।”
“द पैंथर” ने सैप के खिलाफ फाइट करने से पहले ही एक ऐसी चीज देख ली थी जिससे उन्हें अहसास हो चला था कि वो किसका सामना करना वाले हैं।
गलानी ने हंसते हुए कहा, “हम उस जगह पहुंचे जहां हम मिलने वाले थे और उन्होंने दरवाजे के बाहर ही अपने जूते बाहर उतार दिए थे और उनके जूते किसी सामान्य व्यक्ति से काफी बड़े थे।”
हालांकि, गलानी खुद भी काफी तगड़े एथलीट हैं। उनका शरीर फैंस के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है लेकिन प्री-बाउट सेशन में सैप के सामने वो बौने सिद्ध हो चले थे।
जैसे ही वो आगे चले और कैमरा उनके पीछे-पीछे था, आसपास मौजूद लोगों को सैप के सामने “द पैंथर” दिखाई ही नहीं पड़ रहे थे।
गलानी ने कहा, “हम बाहर आए और तस्वीरें भी खिंचाई, जब हम तस्वीर ले रहे थे तो मुझे अहसास हुआ कि मैं उनके सामने कितना छोटा हूं।”
“वो एक हास्यास्पद लम्हा था क्योंकि अधिकांश मौकों पर मेरे प्रतिद्वंदी मेरे सामने कमजोर नजर आते हैं लेकिन ये एक ऐसा मौका था जब लोगों के लिए मुझे देख पाना तक मुश्किल हो रहा था।”
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खैर, मार्शल आर्ट्स में साइज ही सब कुछ नहीं होता। तगड़े अमेरिकी एथलीट इससे पहले अपनी ताकत का इस्तेमाल कर K-1 लैजेंड अर्नेस्ट हूस्ट पर 2 बड़ी जीत दर्ज कर चुके थे इसलिए गलानी ने अलग रणनीति अपनाने का फैसला लिया।
गेम प्लान ये था कि ताकत का इस्तेमाल कम करते हुए गलानी, सैप की ही स्पीड और मूवमेंट का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे।
गलानी ने कहा, “हमने ऐसी रणनीति बनाई थी जिससे मैं अपने प्रतिद्वंदी से दूर भी रह सकता था और बार-बार आगे पीछे जाकर अटैक भी कर सकता था।”
“मुझे पता था कि उन्हें हराना आसान नहीं होगा और वो मुझे कहीं अधिक ताकतवर भी थे। मैं हूस्ट की तरह एक जगह खड़े रहकर उनपर अटैक नहीं कर सकता था क्योंकि वो एक ही दमदार पंच से मुझे काफी क्षति पहुंचा सकते थे। इसलिए मैंने एक जगह खड़े ना रहने की रणनीति अपनाई और मुझे बेहद चपलता से उन पर अटैक करना था।”
आखिरकार, 7 अक्टूबर 2009 का वो दिन आया जब इनका मैच हुआ।
मैच से पहले “द पैंथर” अपना गेम प्लान तैयार कर चुके थे, कार्डियो पर काफी ध्यान दिया था और इस उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहे थे कि वो चुनौती को जरूर पार करेंगे। हालांकि, अब भी 4 बार के किकबॉक्सिंग और मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन को घबराहट हो रही थी लेकिन ये अब वो समय आ चुका था जब उन्हें जिम में की गई कड़ी ट्रेनिंग की मदद से बढ़त बनाने की कोशिश करनी होगी।
हालांकि, ऐसी कोई ट्रेनिंग नहीं थी जो उन्हें अपनी तरफ सैप जैसे तगड़े एथलीट को आने से रोकने में मदद कर सकती थी।
गलानी ने कहा, “फाइट के दिन मैं बहुत उत्साहित महसूस कर रहा था। जैसे ही वो मेरे सामने आए तो मुझे घबराहट होने लगी लेकिन मुझे किसी भी तरह मजबूती से उनके सामने डटे रहना था।”
जैसे ही बैल बजी उन्होंने मेरी तरफ आना शुरू कर दिया और 15-20 सेकंड में ही मेरी एनर्जी मेरा साथ छोड़ने लगी थी।
उन्होंने बताया, “जब भी कोई फाइट शुरू होती है तो आमतौर पर आप पहले अपनी परिस्थितियों को समझने की कोशिश करते हैं। लेकिन जैसे ही बैल बजी वो मेरी तरफ आने लगे जिससे मेरा मोमेंटम बिगड़ने लगा था। मुझे कोई रणनीति नहीं सूझ रही थी कि किस तरह मैं उन्हें किक लगाऊं और खुद से दूर करूं। उन्होंने मुझे ऐसा करने का मौका ही नहीं दिया इसलिए मैं काफी हद तक लय से भटक चुका था।”
सौभाग्य से, गलानी ने अपने अनुभव का प्रयोग कर धैर्य बनाए रखा और कुछ समय बाद ही अपने गेम प्लान पर लौट आए।
जैसे ही उन्हें शुरुआती बढ़त मिली, “द पैंथर” ने दिखाया कि उनकी रणनीति सफल साबित हो सकती है और हॉन्ग कॉन्ग के फैंस के सामने उन्होंने धमाकेदार अंदाज में जीत हासिल करने में सफलता पाई थी।
गलानी ने कहा, “कुछ सेकंडों बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़ने लगा, लय प्राप्त होने लगी और बढ़त बनाने के कई मौके मेरे सामने आते रहे।”
“जब भी वो कोई स्ट्राइक लगाने की कोशिश कर रहे थे तो मैं उनसे दूर चला जा रहा था। इसी रणनीति के तहत मैं उनके दमदार पंचों से बचने में सफल रहा और वो फाइट मेरे करियर की सबसे यादगार फाइट्स में से एक बन गई। साथ ही मैंने ये भी दिखाया कि इस स्पोर्ट में कुछ भी संभव है।”
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