Throwback Thursday: रॉकी ओग्डेन का थाईलैंड में पहला मैच
रॉकी ओग्डेन ने अपने करियर के शुरुआती दौर में ही ये दर्शा दिया है कि वो अपने मार्शल आर्ट्स करियर को कितना गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने Rajadamnern Stadium में हुए अपने डेब्यू मैच में खुद से कहीं अधिक अनुभवी एथलीट को कड़ी टक्कर दी थी।
वो हमेशा से किसी भी चुनौती से डरे बिना आगे बढ़ते रहे हैं और ग्लोबल स्टेज पर अपने पहले मुकाबले यानी पहले ONE स्ट्रॉवेट मॉय थाई टाइटल मैच में भी उन्होंने सैम-ए गैयानघादाओ को अपना बेस्ट प्रदर्शन करने के लिए पुश किया था।
हालांकि, ONE: KING OF THE JUNGLE में वो टाइटल नहीं जीत पाए थे लेकिन अपने प्रदर्शन से उन्होंने दर्शा दिया था कि वो समय दूर नहीं है, जब वो दोबारा इस टाइटल के करीब आने वाले हैं।
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ओग्डेन बैंकॉक में हुए अपने पहले मुकाबले को भी कभी नहीं भूल पाएंगे।
उन्होंने बताया, “थाई नियमों के अंतर्गत मेरी पहली फाइट Rajadamnern Stadium में हुई। वो एक अनोखी जगह है और पहला मैच वहाँ होना मेरे लिए यादगार साबित हुआ।”
“ये पहली बार था जब मेरा कोई मैच थाईलैंड में हुआ। मैंने वहाँ 1 ही महीना गुजारा था और उसके 2 हफ्ते बाद ही मुझे फाइट का ऑफर आया। जब मुझे ये पता चला कि केवल 6 मैचों का अनुभव होने के बाद मेरा अगला मैच होने वाला है तो मैं खुशी से झूम उठा था।
“मुझे घबराहट महसूस हो रही थी और मुझे मॉय थाई में ज्यादा अनुभव भी नहीं था। मैं नहीं जानता था कि मुझे इस मैच से क्या उम्मीद रखनी चाहिए।”
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मैच से पहले की घबराहट और परेशानी के बावजूद गोल्ड कोस्ट के निवासी एथलीट ने पीछे हटने के बारे में कभी सोचा ही नहीं।
उन्हें अपने कोच द्वारा कुछ अच्छी सलाह मिली, घबराहट को दूर रखा और फिर खुद को बड़े मैच के लिए तैयार किया।
उन्होंने बताया, “जैसे ही मैं स्टेडियम में पहुंचा तो मुझे अत्यधिक घबराहट महसूस होने लगी थी। मैं एक ऐसी जगह जा रहा था, जहाँ कई लैजेंड एथलीट्स ने फाइट की है, ये सोचकर ही मैं भीतर से गदगद महसूस कर रहा था।”
“मेरे कोच मुझे शांत रखने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने मुझसे कहा जैसे ही तुम रिंग में कदम रखोगे तो वैसा ही महसूस करना है जैसा पहले मैचों में करते आए हो, जैसे ये मैच भी पहले मैचों की ही तरह एक होने वाला है। उनकी इस सलाह ने मेरी घबराहट को कुछ हद तक कम किया।”
इसके बावजूद उस समय 16 वर्षीय ओग्डेन के लिए इस घबराहट को दूर कर पाना असंभव सा प्रतीत हो रहा था और इससे पहले वो कुछ ही एमेच्योर लेवल के मैचों का हिस्सा रहे थे।
ऑस्ट्रेलियाई एथलीट ने रिंग में कदम रखा और अपना बेस्ट प्रदर्शन करने की कोशिश की लेकिन उनके प्रदर्शन में अनुभव की कमी साफ देखी जा सकती थी। आखिर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
Boonchu Gym के प्रतिनिधि ने कहा, “वो मेरे करियर का शुरुआती समय था।”
“अनुभव की कमी थी, इस बात से ज्यादा वाकिफ नहीं था कि मॉय थाई नियमों में फाइट कैसे की जाती है। ऐसी कोई चीज नहीं थी जिससे मुझे इस मैच में लाभ मिल सकता था और एक ऐसे एथलीट का सामना कर रहा था जिसे 50 मुकाबलों का अनुभव था।
“जब मैंने वहाँ कदम रखा तो चीजें समझ में आने लगी थीं, रिंग बड़ी थी और ऊपर लाइट की रोशनी पड़ रही थी, वहाँ का वातावरण भी मेरे लिए काफी अलग रहा। यहाँ तक कि मैच को भी मैं अपने लिए बुरा नहीं मानता फिर चाहे उसमें मुझे हार ही क्यों ना मिली हो लेकिन कुछ चीज थी जो मुझे अपना बेस्ट प्रदर्शन करने से रोक रही थी। घबराहट थी और अनुभव की कमी थी इसलिए मुझे नहीं पता था कि रिंग में उतरने के बाद आखिर मुझे करना क्या है।”
खास बात ये थी कि ओग्डेन को एक ऐतिहासिक स्टेडियम में फाइट करने का मौका मिला था और एक ऐसी जगह बाउट का हिस्सा बनें, जहाँ मॉय थाई का जन्म हुआ था।
इसके अलावा भी उन्हें अपने उस मैच से कुछ चीजें सीखने को मिलीं।
उन्होंने माना, “इस मैच से मुझे ये समझ आ चुका था कि आपको अपने कोचों की सलाह को हमेशा गंभीरता से लेना चाहिए।”
“जब वो फाइट करने के लिए कहते हैं तो आपको रिंग में उतरकर फाइट करने से अलग कुछ भी नहीं सोचना चाहिए। डर को दूर रखें और अपना बेस्ट प्रदर्शन करने की कोशिश करें।
“मेरे साथ दिक्कत ये रही कि मैं उस मैच में ज्यादा इंतज़ार कर रहा था। स्ट्राइक लगाने के लिए ज्यादा इंतज़ार करने के कारण ही मैं मैच पर पकड़ खो चुका था लेकिन उससे मुझे बेहद खास अनुभव प्राप्त हुआ। वहाँ फाइट करने का मौका मिलना ही मेरे लिए बहुत बड़ी बात रही और ये एक ऐसा लम्हा है जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता।”
ओग्डेन के कोच भी इसी बात पर ध्यान दे रहे थे कि उनका शिष्य उस पल से ज्यादा से ज्यादा चीजें सीखे।
उसी शाम उन्होंने गोल्ड कोस्ट निवासी एथलीट के प्रति नाराजगी जाहिर की और उन्हें अगली बार सभी सलाह पर ध्यान लगाने और किसी गलती को ना दोहराने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा, “मेरे कोच ने उस फाइट के बाद मुझे कुछ बुरे शब्द भी कहे लेकिन उन बातों ने मुझे प्रोत्साहन भी दिया था। उसके बाद या तो आप रो सकते हैं या उन बातों को झेल सकते हैं या फिर घर जाकर रोकर इसकी भड़ास निकाल सकते हैं।”
“मैंने इस बात को पकड़ लिया था और खुद से कहा कि मुझे आगे कभी ऐसा नहीं होने देना है। मैंने उनसे भी यही कहा और वापसी के बाद मैंने लगातार 9 मैचों में नॉकआउट से जीत दर्ज की। मेरे अंदर का कोई हिस्सा लगातार मुझसे ये कह रहा था कि मुझे वो चीजें दोबारा नहीं होने देनी हैं इसलिए इस सोच से मुझे आगे बढ़ने में बहुत मदद मिली।”
अब ओग्डेन का प्रोफेशनल रिकॉर्ड 37-5-1 का हो गया है और इस दौरान वो WPMF मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियनशिप भी जीत चुके हैं। शायद इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण ये बात रही कि उन्हें अपने अच्छे प्रदर्शन के बलबूते ONE में आने का मौका मिला है।
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