Transformation Tuesday: गुरदर्शन मंगत
गुरदर्शन “सेंट लॉयन” मंगत में जैसा बदलाव देखने को मिला है, वैसा बदलाव मार्शल आर्ट्स वर्ल्ड में बहुत ही कम देखने को मिलता है।
मार्शल आर्ट्स ने भारतीय-कनाडाई एथलीट की जिंदगी को एक नया रूप दिया है और अब 33 साल की उम्र में भी पहले से कहीं अधिक फिट महसूस कर रहे हैं, शारीरिक रूप से भी और मानसिक रूप से भी।
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पिछले साल ONE Championship को जॉइन करने के बाद मंगत खुद को फ़्लाइवेट डिविजन के सबसे दिलचस्प एथलीट्स में से एक साबित कर चुके हैं और भारतीय मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स मूवमेंट में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
हालांकि, बचपन में चीजें काफी अलग हुआ करती थीं क्योंकि “सेंट लॉयन” में आत्मविश्वास की कमी थी और समय-समय पर उनके क्लासमेट उन्हें तंग करते रहते थे।
उन्होंने माना, “जब मेरी उम्र 10 या 11 साल थी, उस वक्त मैं खुद से खुश नहीं था। मेरा आत्म-सम्मान जैसे बिखरा हुआ था।”
“मैं एक ऐसा व्यक्ति था जिसका दिमाग उसके साथ नहीं था। मैं दूसरों को फॉलो करता था, लोग मुझसे अपने काम करवाते थे। मुझे खुद पर भरोसा नहीं था और मैं दिन-प्रतिदिन खुद से लड़ने की कोशिश करता।
“मैं दूसरों के लिए आसान शिकार होता था और दूसरे लोग मुझे परेशान कर खुद पर गर्व महसूस करते थे। उस समय चीजें ऐसी थीं, मैं परेशान था और डिप्रेशन से जूझ रहा था।”
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इसके साथ मंगत एक फास्ट फूड रेस्टोरेंट में काम करते थे और लगभग हर रोज जंक फूड खाते थे। इससे उनके लिए मुसीबतें कम होने के बजाय बढ़ ही रही थीं क्योंकि उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा था और मानसिक रूप से वो पहले ही कमजोर महसूस कर रहे थे।
उन्होंने कहा, “मुझे अस्थमा था और मैं खुद की ज्यादा परवाह भी नहीं कर रहा था।”
भारतीय एथलीट नहीं जानते थे कि उनका भविष्य कितना सफल साबित होने वाला है, इसलिए उन्होंने अगले कुछ और साल तक अपने शरीर की हालत को गंभीरता से नहीं लिया।
जब वो 22 साल के हुए तो कुछ चीजें जरूर बदलीं। मंगत ने मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी। उनका इसके प्रति लगाव धीरे-धीरे बढ़ रहा था और जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि वो कड़ी मेहनत, ज्ञान और आत्मविश्वास को साथ रख अपनी जिंदगी को एक नया रूप दे सकते हैं।
उन्होंने बताया, “जब मुझे एहसास हुआ कि मैं कुछ बड़ा हासिल कर सकता हूँ तो दिन-ब-दिन मेरी बॉडी, मेरा माइंड और यहाँ तक कि मेरे आसपास का वातावरण भी बदलने लगा था।”
“जब मुझे फील हुआ कि मुझमें बदलाव आने शुरू हो रहे हैं तो मैं खुद पर कंट्रोल रख पा रहा था और अपने दिमाग और बॉडी पर भी नियंत्रण रख पा रहा था। मैं जानता था कि मैं कुछ बड़ा हासिल कर सकता हूँ।
“मैंने न्यूट्रिशन के बारे में पढ़ना शुरू कर दिया क्योंकि मैं जानना चाहता था कि मुझे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। भारत के खाने में काफी सारा नमक और बहुत अधिक कार्ब्स होते हैं इसलिए मुझे अपनी डाइट में बदलाव लाना था। मैंने खुद के लिए खाना पकाना शुरू किया और अपनी डाइट को लेकर बेहद सख्त रवैया अपनाया।”
अब मंगत काफी सोच-समझकर खाना खाते हैं और ट्रेनिंग के लिए पहले से कहीं अधिक बेहतर डाइट का सेवन करते हैं।
इतने जागरूक और प्रतिबद्ध होने के बाद वो अपनी बॉडी को बेहतर शेप में लाए, सोच में बदलाव किया और इसी कारण उन्हें वर्ल्ड-क्लास मार्शल आर्टिस्ट के रूप में जाना जाने लगा है।
इन सभी बदलावों ने उन्हें सफल होने में मदद की और वो चीजें हासिल करने में मदद की है जिनका वो हमेशा से सपना देखते आए थे।
उन्होंने कहा, “आज आप जिस गुरदर्शन मंगत को देख रहे हैं वो आज खुद की आवाज बन चुका है, एक ऐसा व्यक्ति जो एक बार किसी चीज को हासिल करने की ठान ले तो उसे हासिल कर ही दम लेता है।”
“अपनी पूरी जिंदगी एक भेड़ बने रहने के बजाय मैं शेर बनना चाहता था, जो अपने आत्म-सम्मान को कभी नीचे ना गिरने दे, दूसरों को प्रोत्साहित करे और खुद अपनी जिंदगी का शेर बने।
“मैं उसी सिद्धांत पर आज टिका हुआ हूँ, आज भी कभी-कभी अपने उस व्यक्तित्व को याद करता हूँ जिसका पालन मैंने अपने जीवन के 22 साल किया था। मैं पहले जैसा बिल्कुल भी नहीं बनना चाहता।
“मैंने हमेशा यही सोचता था कि मेरा जीवन भी किसी आम व्यक्ति की ही तरह गुजरने वाला है। अब मुझे लगता है कि कुछ सबसे अच्छी चीजें भविष्य में मेरा इंतज़ार कर रही हैं। मैं अपने करियर और जीवन को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहता हूँ और किसी भी वजह से खुद को सिर नीचे झुकाते नहीं देखना चाहता।”
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