Transformation Tuesday: शेनन विराचाई का लाइटवेट से फेदरवेट डिविजन में जाने का सफर
शेनन “वनशिन” विराचाई हाल ही में ONE: KING OF THE JUNGLE में होनोरियो “द रॉक” बानारियो के साथ बाउट के लिए गज़ब की ट्रांसफॉर्मेशन कर लाइटवेट से फेदरवेट डिविजन में आए थे।
थाई मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट पिछले 3 साल से भारी भार वर्ग के साथ बने हुए थे और उसमें उन्हें सफलता भी मिल रही थी। लेकिन उन्होंने अपने करियर में कुछ नया ट्राई करने के लिए फेदरवेट डिविजन में आने का फैसला लिया था।
31 वर्षीय स्टार ने बताया, “ल्यूक एडम्स Bangkok Fight Lab के एक कोच हैं, उन्होंने ही मुझे मनाया और उन कारणों के बारे में बताया कि मुझे वेट कैटेगरी में नीचे क्यों जाना चाहिए। मुझे लगा कि वो सही कह रहे हैं।”
“इसके बारे में मैंने पहले भी सोचा था जब मेरा मुकाबला जुलाई 2018 में शिन्या एओकी से हुआ लेकिन एओकी एक शानदार एथलीट हैं। इसलिए मैंने सोचा, ठीक है मैं उम्मीद ना छोड़ते हुए इसी वेट कैटेगरी पर ध्यान देना जारी रखूंगा। उसके बाद फरवरी 2019 में मेरा मैच अमरसना त्सोगुखू से हुआ और वो भी बहुत ताकतवर साबित हुए।
“टिमोफी नास्तुकिन मेरे दोस्त हैं और Tiger Muay Thai में हमने एक साथ ट्रेनिंग भी की है, वो किसी मॉन्स्टर की तरह हैं। जब लोगों ने मुझसे पूछा कि मैं वेट कैटेगरी में नीचे क्यों आ रहा हूँ तो मैंने टिमोफी की तरफ उंगली कर लोगों से पूछा, ‘क्या आप उस व्यक्ति को देख पा रहे हैं?’ और उन्होंने कहा, ‘हाँ, अब हमें समझ आया कि आपने कैटेगरी में बदलाव क्यों किया है।'”
उनके पास प्लान था और 28 फरवरी को सिंगापुर में उनका बानारियो के साथ मैच फिक्स हुआ, और इसी समय फेदरवेट डिविजन में अपनी एक लिमिट तय कर चुके थे।
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बैंकॉक के रहने वाले इस एथलीट ने छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान दिया जैसे- उनके लिए केवल अच्छी ट्रेनिंग और अच्छी डाइट महत्वपूर्ण रहीं।
उन्होंने बताया, “फेदरवेट डिविजन में फाइट करने के लिए ज्यादा अनुसाशन की जरूरत होती है। आपको अपने वजन और खानपान पर कंट्रोल रखना होता है और ये भी ध्यान रखना होता है कि यहाँ लाइटवेट डिविजन से ज्यादा मूवमेंट की जरूरत होती है।”
“लेकिन असल में इस बार फेदरवेट डिविजन में मेरी डाइट मेरे करियर के शुरुआती दिनों से आसान थी। जब मैं बैंकॉक में था तो मैं शाकाहारी भोजन ज्यादा खा रहा था, कभी कभी सप्ताह में एक बार लेकिन कुछ समय बाद मुझे इस डाइट से ज्यादा थकान महसूस होने लगी थी।
“जब मैं फुकेत आया तो मुझे पता था कि यहाँ मुझे केवल ट्रेनिंग और सोने का ही वक्त मिल पाएगा और बाहर ना के बराबर जाना होगा इसलिए मैंने थाई फूड, मीट, वेजी और ज्यादा कार्ब्स वाला खाना खाया।
“अपने साइंस के दिनों से मुझे याद है कि ये चीजें इस बात पर निर्भर करती हैं कि आप कितनी कैलोरी खा रहे हैं और कितनी बर्न कर रहे हैं। मैं एक दिन में 2 बार ट्रेनिंग कर रहा था और फिर डिनर में मीट, वेजी, चावल और ज्यादा खाने पर ध्यान नहीं दे रहा था।”
विराचाई स्ट्रेंथ के एक नए क्षेत्र में दाखिल हो चुके थे और कंडिशनिंग कोच स्टीव पाइप की निगरानी में ट्रेनिंग कर रहे थे, इसका मतलब ये था कि अब वो डाइट या ट्रेनिंग के मामले में कोई शॉर्टकट नहीं ले सकते।
थाई एथलीट ने बताया, “हमने हार्ट रेट पर ध्यान दिया। इससे मुझे मेरी बॉडी के बारे में ज्यादा समझ होने लगी थी और मैं किसी भी तरीके से चीट नहीं कर सकता था। मुझे पता था कि हार्ट रेट को अच्छी स्थिति में रखने के लिए मुझे क्या करना है और इसे संतुलित रखने के लिए मुझे किन चीजों पर ध्यान देना था।”
असल में मुझे इस सबसे अच्छे रिजल्ट्स मिल रहे थे।
जबकि उन्हें बानारियो के खिलाफ करीबी मुकाबले में विभाजित निर्णय से हार मिली थी, “वनशिन” ने इसी वेट कैटेगरी से जुड़े रहने का फैसला लिया है।
उन्होंने बताया, “फेदरवेट में मेरी बॉडी अच्छा फील कर रही है। मैं बॉडी पर बेहतर तरीके से कंट्रोल कर पा रहा हूँ और कार्डियो भी बेहतर हो रहा है यानी मुझे लंबी फाइट्स के लिए तैयारी करने में आसानी हो रही है।”
“जब होनोरियो ने मुझे फेंस (केज के चारों ओर लगी जाली) की तरफ धकेला तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मेरी स्ट्रेंथ में कमी आई है। मेरी पावर अभी भी अच्छी है लेकिन उतनी नहीं जितनी लाइटवेट डिविजन में थी। मुझे लगता है कि फेदरवेट डिविजन में रहकर मुझे फायदा होगा और जल्द ही अपनी मसल्स और स्ट्रेंथ वापस पा सकूंगा।”
केवल वजन कम होने से ही विराचाई पहले से अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं लेकिन इससे उनके जीवन पर भी कई अन्य तरीकों से प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने बताया, “मेरे खड़े होने, बैठने का तरीका और यहाँ तक कि चाल में भी थोड़ा बदलाव आया है।”
“जब किसी का वजन ज्यादा होता है तो काफी चीजों में बदलाव होने लगता है। लेकिन जब आप अपनी बॉडी के हिसाब से सही वेट में हों तो आप अच्छा महसूस करने लगते हैं, तस्वीरों में अच्छे नजर आने लगते हैं। इससे मुझे अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिली है, केवल जिम में ही नहीं बल्कि अपने जीवन में भी।”
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