कैसे डेनिस ज़ाम्बोआंगा की एक हार ने बदल दिया उनका करियर

Denice Zamboanga DSCF3627

मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट के रूप में डेनिस “द मेनेस फेयरटेक्स” ज़ाम्बोआंगा का अपराजित रिकॉर्ड उनके कद को बढ़ा सकता है लेकिन उन्हें ये भी सीखना पड़ा कि वो हारकर क्या हासिल कर सकती हैं।

फिलीपींस की 23 वर्षीय एथलीट – जो मेई “V.V” यामागुची से इस शुक्रवार, 28 फरवरी को ONE: KING OF THE JUNGLE में सामना करेंगी – को इस स्पोर्ट में प्रतिस्पर्धा शुरू करने और वहां से ONE Championship तक का रास्ता तय करने से पहले एक कॉम्पिटिशन में दर्दनाक हार का अनुभव मिला था।

हालांकि, उन्होंने जो भावनाएं महसूस की थीं, वो बिल्कुल नेगेटिव थीं, जबकि परिणाम सकारात्मक थे क्योंकि उनकी कठिन परीक्षा ने उनमें दृढ़ संकल्प की एक नई भावना पैदा कर दी। इसने उन्हें अपने नए खेल में प्रभावशाली बनने में मदद की।

ज़ाम्बोआंगा ने क्योकुशिन कराटे की ट्रेनिंग लेनी शुरू की थी। वो जब 17 साल की थीं, तब सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग ले रही थीं लेकिन उन्होंने ट्रेनिंग के बाद तय किया कि वो अपने सपनों को हासिल करेंगी।

उन्होंने कहा, “मैं उत्साहित थी कि जब उसी तरह से ट्रेनिंग लेने वाले अन्य लोगों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करूंगी तो क्या होगा।”

“द मेनेस” ने पहले अच्छा प्रदर्शन किया और कुछ प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की लेकिन आखिर में उन्हें हार का कड़वा स्वाद भी चखना पड़ा।

वो जब ग्रीन बेल्ट के साथ एक मैच में डाल दी गई थीं, तब उनके सामने ढेर सारी मुश्किलें आ गई थीं क्योंकि उनकी रैंक से ऊपरवालों को उनके खिलाफ रखा गया था। इसकी वजह ये थी कि वहां पर ज्यादा प्रतिभागी नहीं थे। हालांकि, ज़ाम्बोआंगा के लिए ये कोई चिंता का विषय नहीं था।

आखिरी राउंड तक पहुंचने के लिए उन्होंने तीन मैचों में संघर्ष किया। वो अपने प्रतिद्वंदी का सामना करने के लिए तैयार थीं। उन्होंने भरपूर आत्मविश्वास के साथ अपने सामने खड़ी चुनौती का सामना किया था।



वो याद करते हुए बताती हैं, “मेरा दिमाग उस वक्त अपनी विरोधी के ऊपर हावी होने के लिए तैयार था।”

“मेरे विरोधी के पास एक हाई रैंकिंग वाली बेल्ट थी इसलिए मैं आखिरी राउंड में उनके ऊपर दबाव बनाने के लिए और दृढ़ संकल्पित हो गई थी।”

दुर्भाग्य से विरोधी के प्रदर्शन का स्तर उनके आत्मविश्वास से मेल नहीं खाया और वो पहली बार हार गई थीं।

उन्होंने बताया, “मैं वास्तव में नॉकआउट हो गई थी और कुछ ही क्षणों में मैच खत्म हो गया था।”

“मुझे एक लेफ्ट हेड किक पड़ी थी। वो बहुत तेज थी, जो मुझे दिखी ही नहीं। इसके साथ मेरा गार्ड भी नीचे था।”

Denice Zamboanga

उस मैच में मिले अनुभवों से बहुत सी सकारात्मक चीजें जानने के लिए थीं लेकिन ज़ाम्बोआंगा के दिमाग से वो सब चीजें बहुत दूर थीं क्योंकि उन्होंने हार को दिल से लगा लिया था।

उन्होंने बताया, “मैं रोई क्योंकि उस मैच में हारना नहीं चाहती थी। मैं चैंपियन बनने से एक जीत दूर थी। मुझे लगा कि मैं अपने लक्ष्य से दूर जाने की वजह से सच में बहुत निराश हूं।”

“उस अनुभव के बारे में सबसे दर्दनाक बात ये थी कि वो हार नॉकआउट से आई थी। उस मैच का फैसला जजों के हाथों में नहीं था। ये निर्णायक और स्पष्ट था कि मैं पहले ही हार गई हूं।”

यहां तक कि वो जब शुरुआती झटकों से उबर गईं और होश में आईं तो भी उनकी निराशा कम नहीं हुई।

उन्होंने ट्रेनिंग को दिए अपने वक्त के बारे में सोचा। साथ ही लोगों की आशाओं और उनको दिए समर्थन के बारे में सोचा तो ये बातें उनकी परेशानी बढ़ाने की और वजह बन गईं।

23 वर्षीय एथलीट ने कहा, “मुझे लगता है कि ट्रेनिंग के दौरान मुझे जो भी संघर्ष और बलिदान झेलने पड़े थे, वो सब बर्बाद हो गए थे क्योंकि मैं टूर्नामेंट जीतने में नाकाम रही थी।”

“मेरे भाई और परिवार भी उस मैच को वहां देखने आए थे। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैंने उन्हें उस हार से निराश किया है। मैं दोबारा ऐसा महसूस नहीं करना चाहती हूं।”

Philippine mixed martial arts Denice Zamboanga trains at the Fairtex Training Center in Pattaya

हालांकि, वो निराश जरूर हुईं लेकिन उन्होंने पूरी तरह से हार नहीं मानी। उन्होंने ट्रेनिंग जारी रखी और डर से निकलते हुए फिर से खुद को परिपक्व बनाना शुरू कर दिया।

हालांकि, वो मिशन समय के पहले ही खत्म हो गया, जब उनके भाई ने सलाह दी कि उन्हें कराटे के अलावा कुछ और चीजों की कोशिश करनी चाहिए।

वो कहती हैं, “मेरे भाई ने मुझे एक टूर्नामेंट में जाने की कोशिश करने के लिए कहा, जो मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में महिला प्रतियोगियों की तलाश में था।”

“मैंने इस बारे में कभी नहीं सोचा था। न ही मुझे इसका कभी आइडिया आया था कि ये क्या है। मैं सच में इसे आजमाने में थोड़ा सा डर रही थी।”

चिंताओं के बावजूद ज़ाम्बोआंगा चुनौती से पीछे नहीं हटीं। एक बार जब वो प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हो गईं तो वो कभी भी विरोधियों का सामना करने से कतराई नहीं, जो कागज पर उनसे बेहतर या ज्यादा अनुभवी थे।

नॉकआउट हार ने उनकी मानसिकता को पूरी तरह से बदल दिया था। इसके बाद उन्होंने कभी भी अपनी तैयारियों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें उनके सही रिकॉर्ड तक ले जाने में मदद की, जिसे उन्होंने ONE की अपनी पहली बाउट के साथ आगे बढ़ाया।

अब उन्हें उम्मीद है कि वो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों के खिलाफ बढ़ती रहेंगी, ताकि अपनी टीम और परिवार को गर्व करने का मौका दे सकें।

वो कहती हैं, “मेरी पहली हार ने मुझे और ज्यादा ट्रेनिंग लेने के लिए एक जुनून पैदा कर दिया।”

“मैं कभी फिर से हारने के दर्द और निराशा को महसूस नहीं करना चाहती थी इसलिए मैंने ये पक्का किया कि मैं अपने अगले मैचों के लिए हमेशा बेहतर तैयारी करूं, ताकि जीतने से मुझे कोई रोक न सके।”

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