आजादी के लिए वंडरगर्ल की लड़ाई: मैं चाहती थी कि मां को पता चले, मैं फाइटिंग को लेकर गंभीर हूं
नट “वंडरगर्ल” जारूनसाक ने अपने जीवने में कई सारे असाधारण काम किए हैं, लेकिन अगर उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में दो महत्वपूर्ण फैसले नहीं लिए होते तो आज जैसा है, वैसा कुछ भी संभव ना हो पाता।
पहला ये कि उन्होंने तय किया कि उन्हें अपना प्रोफेशनल करियर फीमेल मॉय थाई फाइटर के तौर पर तलाशना है और दूसरा ये कि उन्होंने अपने जीवन की राह खुद तय करने का फैसला किया ना कि अपनी मां के बताए रास्ते पर चलीं – ये दोनों ही चीजें उनके अपने देश में विसंगतियां थीं।
शुक्रवार, 20 मई को ONE 157: Petchmorakot vs. Vienot में भारतीय फाइटर ज़ेबा बानो के खिलाफ होने वाले अपने MMA डेब्यू से पहले उन्होंने ONE Championship को बताया:
“मैं अपनी मां को ये दिखना चाहती थी कि मैं सच में यही करना चाहती हूं। मैं उन्हें ये कहकर जताना नहीं चाहती थी। मैं चाहती थी कि उन्हें पता चले कि मैं फाइटिंग में अपना भविष्य बनाने के लिए गंभीर हूं।
“मैं समझती हूं कि थाइलैंड में अपने माता-पिता को ना कहना आसान नहीं होता है और ज्यादातर ऐसा ही होता है, जो कि सही नहीं है। कई सारे माता-पिता के पास पहले से सपने होते हैं, जिन्हें वो समय पर पूरा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में उन्हें लगता है कि उनके बच्चे उस सपने को पूरा करेंगे। मुझे नहीं लगता है कि ये उनके बच्चों के लिए सही होगा क्योंकि अगर उनके पास अपने सपने हैं तो बच्चों के पास भी उनके अपने सपने होते हैं।”
ऐसे में जारूनसाक के पास भी अपने सपने थे।
23 साल की एथलीट ने जब से होश संभाला है, तब से उन्होंने एक प्रोफेशनल फाइटर बनने के बारे में ही सोचा है और वो ऐसा क्यों ना करतीं ? उनके पिता जारूनसाक चानथासरी भी एक पूर्व फाइटर थे और वो उन्हें व उनकी छोटी बहन एना “सुपरगर्ल” जारूनसाक को बचपन से ही ट्रेनिंग देते आए थे।
हालांकि, उनकी मां दोनों एथलीट बहनों के लिए एक ऐसा करियर चाहती थीं, जिसमें उन्हें चोट लगने का खतरा ना हो। सच तो ये है कि जारूनसाक और उनकी बहन औसत थाई महिलाओं से लंबी हैं इसलिए उनकी मां उन्हें मॉडलिंग और कास्टिंग कॉल्स करते देखना चाहती थीं।
थाई एथलीट ने बड़ी स्क्रीन पर दिखने वाली मां की महत्वाकांक्षा को नजरअंदाज करते हुए मॉय थाई जारी रखा।
हालांकि, अब वो मॉडलिंग शूट्स या फिल्मों के सेट पर तो काम नहीं कर रही हैं, लेकिन स्ट्राइकिंग की सुपरस्टार दर्शकों का मनोरंजन दूसरे तरीके से कर रही हैं, जैसे कि “वंडरगर्ल” के तौर पर ONE Championship के सर्कल में।
भले ही अपनी जिद के चलते वो ऐसा करती हों, लेकिन इस बात को बिल्कुल भी गलत मत समझिएगा क्योंकि “वंडरगर्ल” इन चीजों से पूरी तरह से अनजान नहीं हैं।
जारूनसाक ने कहा:
“वो चीजें अब भी मेरे अंदर मौजूद हैं। आपको फिल्मों जैसी चीजें करने के लिए कुछ और ही बनना पड़ता है। उस तरह का कास्टिंग वाला काम काफी अलग होता है, जो कि काफी कठिन भी होता है। वहीं फाइटिंग उससे काफी आसान है।”
सच तो ये है कि फाइटिंग भी काफी कठिन हो सकती है और “वंडरगर्ल” को ये बात अपने हाई स्कूल के दिनों में पता चल गई थी, जब उन्होंने थाइलैंड के मॉय थाई सर्किट में मुकाबला किया था। देश के ज्यादातर प्रोफेशनल फाइटर्स की तरह दिन में दो बार ट्रेनिंग करने की जगह उन्हें केवल शाम के समय ट्रेनिंग करने से ही संतोष करना पड़ता था।
ऐसे में जब रिंग में कदम रखने के बाद उनका सामना भविष्य की ONE वर्ल्ड टाइटल चैलेंजर अल्मा जुनिकु से हुआ तो जारूनसाक इसके लिए तैयार नहीं थीं और मुकाबले के दौरान ऐसी चोट लगी, जिसके चलते कुछ महीनों के लिए उन्हें खेल से दूर रहना पड़ा था। लेकिन इससे भी ज्यादा जो हुआ, वो ये था कि उनकी मां ने इस नुकसान को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया।
“वंडरगर्ल” ने ONE Championship को बताया:
“उन्होंने कहा कि मुझे फाइटिंग से संन्यास ले लेना चाहिए और इसकी जगह किसी दूसरी चीज की तलाश करनी चाहिए। वो मुझे चोट लगते नहीं देखना चाहती थीं। इस बात ने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि क्या मैं इस छोड़ दूं या करती रहूं?
“अगर मैं इसे उस दिन छोड़ देती तो नट ‘वंडरगर्ल’ आज ONE Championship में ना होती। वो कहीं और कोई दूसरा काम या पढ़ाई कर रही होती या मुझे पता नहीं क्या कर रही होती। मुझे गर्व है कि उस दिन मैंने हार नहीं मानी और आज भी मैं अपना सफर जारी रख रही हूं।”
जारूनसाक की मां को अंतत: ये स्वीकार करना पड़ा कि उनकी बेटी ने अपने जीवन में फाइटिंग की योजना खुद ही बना रखी है और ऐसा तब हुआ, जब वो ये जान गई थीं कि वो अपनी पसंद को लेकर जिद पकड़ चुकी हैं।
उन्होंने बताया:
“जब मैं ट्रेनिंग के बाद घर वापस जाती थी और वो मेरी ट्रेंनिग के निशान देखती थीं तो परेशान हो जाती थीं, लेकिन मैंने उन्हें बताया कि ये ट्रेनिंग का हिस्सा है। ये तो सच बात है कि इसमें आपको चोट लगती है क्योंकि हम इंसानों की तरह फाइटिंग कर रहे होते हैं।”
मां से मिले आशीर्वाद के बाद वंडरगर्ल के करियर ने भरी उड़ान
अपनी मां से समर्थन मिलने के बाद नट “वंडरगर्ल” जारूनसाक ने दो थाइलैंड मॉय टाइटल्स पर कब्जा जमाया और फिर अगस्त 2020 में ONE Championship में अपना डेब्यू किया। संगठन का हिस्सा बन जाने के बाद उन्होंने जल्द ही दो जीत हासिल कर लीं।
पहले उन्होंने ONE: NO SURRENDER III में ब्रूक फैरेल को पहले राउंड में तकनीकी नॉकआउट के जरिए हरा दिया और फिर उन्होंने ONE: A NEW BREED में केसी “पिनाय फाइट” कार्लोस को दूसरे राउंड में तकनीकी नॉकआउट के जरिए हरा दिया।
उस दौरान “वंडरगर्ल” अपनी स्ट्राइकिंग को और ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए ब्राज़ीलियन जिउ-जित्सु समझ रही थीं। अपने नए डिसिप्लिन में उन्होंने ग्रैपलिंग टूर्नामेंट जीते और ब्लू बेल्ट भी हासिल की- ये सब उनके आने वाले MMA के बदलाव के लिए फायदेमंद साबित होने वाले थे।
लेकिन इस बदलाव से पहले “वंडरगर्ल” मॉय थाई का एक और मुकाबला तेज-तर्रार स्ट्रॉवेट एथलीट से करना चाहती थीं इसलिए अपनी तीसरी प्रोमोशनल बाउट के लिए उन्होंने डेब्यू स्टार जैकी बुंटान को चुना, जिसके बाद उनकी मां का डर सच साबित हो गया।
उस मुकाबले में फिलिपीनो-अमेरिकी एथलीट ने जारूनसाक को लेफ्ट हुक लगा दिया, जिसने उन्हें इतना नुकसान पहुंचाया कि उन्हें एक बार फिर खेल से दूरी बनानी पड़ी और ये समय करीब एक साल का था। ऐसे में प्रतिभाशाली थाई एथलीट ने जिस तरह से अपना रास्ता चुना था, उसी तरह से उनकी मां ने भी इसे स्वीकार कर लिया था। फिर भले ही उनकी बेटी के मुकाबले का नतीजा आदर्श ना रहा हो।
“वंडरगर्ल” ने कहा:
“अब जब कभी-कभार मुझे चोट लगती है तो वो सामान्य रहती हैं। वो मुझसे हर बार कहा करती हैं कि तुम्हें पंच, किक और एल्बो लगते देखकर मेरी भावनाएं आहत होती हैं।
“लेकिन फाइट के बाद वो मुझे फेसटाइम पर जरूर कॉल करके पूछती हैं कि मैं कैसी हूं और कैसा महसूस कर रही हूं। वो कहती हैं कि उम्मीद करती हूं, तुम्हें कोई गंभीर चोट नहीं लगी होगी।”
ऐसे में “वंडरगर्ल” जैसी मजबूत युवा एथलीट, जिन्होंने कम तय किए गए लेकिन सम्मानित रास्ते पर चलकर खुद को साबित किया है। वो भी ये मानती हैं कि इस दुनिया में मां के प्यार के जैसा कुछ भी नहीं है।
लेकिन जारूनसाक को पता हैं कि ये तो बस उनकी यात्रा की शुरुआत भर है, उन्होंने बताया:
“इस करियर को पाकर मैं बहुत खुश हूं। इसने मुझे जिंदा रखा है और ये मैं तब तक करने वाली हूं, जब तक मुझे ऐसा ना लगे कि अब रुक जाना चाहिए। हालांकि, ऐसा जल्दी नहीं होने वाला है क्योंकि मुझे अभी काफी लंबा रास्ता तय करना है।”