6 भारतीय मार्शल आर्ट्स जिनके बारे में सभी को जरूर जानना चाहिए
आज दुनिया भर में मार्शल आर्ट्स बहुत ही ज्यादा पॉपुलर हो गया है। मार्शल आर्ट्स को सेल्फ-डिफेंस से लेकर युद्ध कला में भी इस्तेमाल किया जाता आ रहा है। ऐसा माना जाता है कि मार्शल आर्ट्स की उत्पत्ति एशिया में हुई थी।
भारत में मार्शल आर्ट्स का इतिहास बहुत पुराना है। कलरीपयट्टु भारतीय मार्शल आर्ट है, जिसकी उत्पत्ति केरल में हुई थी। इसे भारत के अलावा दुनिया के सबसे पुराने मार्शल आर्ट्स में से एक माना जाता है। काफी लोगों को मानना है कि कलरीपयट्टु ही दुनिया के सभी मार्शल आर्ट्स की जननी है।
तकनीक के आधार पर मार्शल आर्ट्स को आर्म्ड (सशस्त्र) और अनआर्म्ड (निहत्था) दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है। आर्म्ड मार्शल आर्ट्स में कई तरह के हथियारों और अस्त्र-शस्त्रों का इस्तेमाल होता है, जबकि अनआर्म्ड में किकिंग, पंचिंग के साथ शरीर के अलग-अलग अंगों का इस्तेमाल होता है।
आइए नजर डालते हैं कुछ भारतीय मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स पर जिनकी उत्पत्ति भारत में ही हुई है:
इंबुआन रेसलिंग
इंबुआन रेसलिंग मिजोरम का एक पारंपरिक खेल है। इस मार्शल आर्ट में किक करने, सर्कल से बाहर जाने और यहां तक कि घुटनों को मोड़ने की मनाही होती है। इसमें विजेता वो बनता है, जो कि अपने हाथों और पैरों की ताकत के दम पर विरोधी को जमीन से ऊपर उठाने में कामयाब हो जाए।
ऐसा माना जाता है कि इस मार्शल आर्ट की उत्पत्ति 1750 A.D.में हुई थी। इसके मुकाबले तीन राउंड तक चलते हैं, जिसमें हार राउंड 30 सेकेंड से 60 सेकेंड तक का होता है।
मुष्टि युद्ध
मुष्टि का मतलब होता है मुट्ठी। मुष्टि युद्ध की उत्पत्ति दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक वाराणसी में हुई थी। संस्कृत भाषा में मुष्टि का मतलब मुट्ठी होता है। इस मार्शल आर्ट में पंच, किक, एल्बो, नी के अलावा विरोधी को पकड़ने का नियम शामिल है।
मैचों को नॉकआउट, सबमिशन या फिर रिंग से बाहर करके जीता जा सकता है। इसमें अक्सर एक-एक प्रतियोगी के अलावा ग्रुप vs ग्रुप के मुकाबले भी होते हैं।
वरमा कलाई
वरमा कलाई दक्षिण भारत खासकर की तमिलनाडु में काफी प्रसिद्ध है। इसमें मसाज, योग और मार्शल आर्ट्स हिस्सा होते हैं। इसके जरिए शरीर के प्रेशर पॉइंट्स का इस्तेमाल कर किसी को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
नियुद्ध
नियुद्ध एक प्राचीन भारतीय मिक्स्ड मार्शल आर्ट है। इसमें किक, पंच और थ्रो का इस्तेमाल किया जा सकता है, सबसे अधिक इसमें हाथों-पैरों का इस्तेमाल होता है। इस मार्शल आर्ट को आत्मरक्षा के अलावा मन की शांति के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि इसमें ध्यान लगाने पर भी काफी ध्यान दिया जाता है।
नियुद्ध में शरीर की सभी मसल्स का यूज़ होता है, इस वजह से ये शरीर के विकास के लिए काफी फायदेमंद होता है।
मल्लयुद्ध
मल्लयुद्ध की उत्रपत्ति भारत में हुई, ये कॉम्बैट कुश्ती होती है। कुश्ती का इतिहास भारत में हजारों साल पुराना है। कई धार्मिक गंथ्रों में भी इसका जिक्र है।
मल्लयुद्ध में प्रेशर पॉइंट पर स्ट्राइक, पंच, चोक, ग्रैपलिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे चार कैटेगरी में बांटा जाता है- हनुमंती, जंबुवंती, जरासंधी, भीमासेनी।
हनुमंती में तकनीकी श्रेष्ठता, जंबुवंती में विरोधी पर लोक और होल्ड्स लगाकर सबमिशन कराने, जरासंधी में विरोधी के जॉइंट्स को तोड़ने और भीमासेनी में ताकत पर जोर दिया जाता है।
कुट्टु वारासाई
कुट्टु वारासाई हैंड टू हैंड कॉम्बैट मार्शल आर्ट्स है। ये दक्षिण भारत खासकर तमिलनाुड, श्रीलंका के कुछ हिस्सों में काफी प्रचलित है। कुट्टु का अर्थ होता है पंच मारना और वारासाई का अर्थ है क्रम यानी कि एक क्रम में पंच मारना।
इस मार्शल आर्ट्स का सबसे पहला जिक्र तमिल संगम साहित्य में देखने को मिलता है। इसमें शरीर के लगभग हर हिस्सा का इस्तेमाल किया जाता है जैसे- मुट्ठी, घुटने, कोहनी पैर आदि। कुट्टु वारासाई में योग, जिमनास्टिक्स, स्ट्रैचिंग के जरिए फुटवर्क और एथलेटिसिज़्म को सुधारा जाता है।
नोट: हमने सिर्फ उन भारतीय मार्शल आर्ट्स का जिक्र किया है, जिनमें किसी भी तरह के हथियार (लाठी, तलवार, भाला, तीर-कमान, शील्ड) का इस्तेमाल नहीं होता।