मॉय थाई Vs. बॉक्सिंग: दोनों स्ट्राइकिंग आर्ट्स का विश्लेषण
अगर आप कॉम्बैट स्पोर्ट्स में नए हैं और मॉय थाई व बॉक्सिंग के बीच क्या अंतर है, इस बारे में सोच रहे हैं तो आप ऐसा करने वाले अकेले नहीं हैं।
दोनों ही खेलों के एथलीट एक समान ही नजर आते हैं। वो बॉक्सिंग गीयर, ग्लव्स, माउथपीस और पेट के निचले हिस्से को चोट से बचाने के लिए प्रोटेक्टर पहनते हैं।
ऊपर से देखने पर इनमें काफी समानता नजर आ सकती है, लेकिन इनमें काफी सारे अंतर भी होते हैं। आइए यहां दोनों खेलों के बीच के अंतर को आसान शब्दों में समझने का प्रयास करते हैं।
हथियार
पहला और सबसे बड़ा अंतर मॉय थाई और बॉक्सिंग में एथलीट्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों का है।
मॉय थाई में ONE फ्लाइवेट मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन रोडटंग “द आयरन मैन” जित्मुआंगनोन जैसे फाइटर्स के पास अटैक करने के ज्यादा विकल्प मौजूद हैं। इसमें पंच, किक, नी, एल्बो, थ्रो के अलावा क्लिंच में रहते हुए स्वीप कर सकते हैं। इसी वजह से फैंस इस खेल को स्ट्राइकिंग आर्ट्स का राजा कहते हैं। इसके अलावा क्लिंच में रहते हुए मॉय थाई फाइटर्स को अपने प्रतिद्वंदी पर अटैक करने की इजाजत होती है, जब तक रेफरी उन्हें क्लिंच से अलग नहीं कर देते।
बॉक्सिंग में फाइटर्स सिर्फ अंदर या बाहर की तरफ से ही पंचों का इस्तेमाल कर सकते हैं। बॉक्सर जब क्लिंच करते हैं तो रेफरी उन्हें जल्द से जल्द छुड़ा देते हैं, लेकिन इतने में दोनों प्रतिद्वंदी एक दूसरे पर पंचों से वार कर देते हैं।
पंच लगाने के तरीके
बॉक्सिंग दुनिया के सबसे बेहतरीन पंच लगाने वाले एथलीट पैदा करता है। “द स्वीट साइंस” का अभ्यास करने वाले एथलीट दिन-रात ट्रेनिंग कर अपने पंचों की ताकत को बढ़ाने का काम करते हैं।
वो एक अच्छे स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग प्रोग्राम का हिस्सा होते हैं, लगातार पंचों का अभ्यास करने की वजह से पूरे कॉम्बैट स्पोर्ट्स में उनकी पंचिंग तकनीक सबसे शानदार हो जाती है। उन्होंने सबसे शक्तिशाली पंच लगाने का तरीका भी खोज निकाला है, फिर चाहे वो हुक्स का इस्तेमाल करें या फिर स्ट्रेट और क्रॉस पंचों का।
मॉय थाई में भी बॉक्सिंग को शामिल किया गया है, लेकिन यहां पंच लगाने का तरीका थोड़ा सा अलग होता है। ये बॉक्सिंग से अलग होता है क्योंकि पंच लगाने के बाद मॉय थाई फाइटर्स एल्बो, किक्स और नी के जरिए भी कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
लेकिन ऐसा नहीं है कि मॉय थाई की पंचिंग सीखना कोई आसान काम है, बात सिर्फ इतनी है कि ये बॉक्सिंग से काफी अलग है।
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स्टांस और फुटवर्क
बॉक्सिंग और मॉय थाई का सबसे बड़ा अंतर उनके स्टांस (रिंग में खड़े होने का तरीका) और फुटवर्क को माना जा सकता है।
बॉक्सिंग मैचों में ज्यादातर समय बॉक्सर्स साइड में रहने का प्रयास करते हैं, जिससे अटैक से बचा जा सके। वो एक जगह रुककर नहीं खड़े होते, जिसकी वजह से उन्हें आगे-पीछे, साइड में जाने या फिर अटैक करने या काउंटर करने का प्रयास करते हैं।
मॉय थाई फाइटर्स सीधे खड़े होते हैं, जिसमें वो पंचों के अलावा किक्स और नीज़ के जरिए भी स्ट्राइक्स कर सकते हैं। वो अक्सर अपने पिछले पैर पर ज्यादा वजन डालकर सामने वाले पैर को उठाते रहते हैं, जिससे पुश किक लगाने या फिर सामने से आ रही किसी लेग किक को ब्लॉक करने का काम करते हैं। अगले पैर पर तब ज्यादा वजन डालते हैं, जब उन्हें राउंडहाउस किक लगाने होती है।
बहुत ही कम देखा जाता है जब कोई पारंपरिक थाई बॉक्सर अपने पंजों पर उछले। ट्रेनिंग के दौरान वो भले ही ऐसा करते हैं, लेकिन रिंग में ऐसा करते हुए देखा जाना काफी दुर्लभ होता है।
अटैक करने की लय
बॉक्सर्स और मॉय थाई फाइटर्स के पास अलग-अलग तरह के हथियार होते हैं इसलिए उनके अटैक करने की लय भी अलग होती है।
उन्हें जिम में पैड वर्क करते हुए देखने और सुनने से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। बॉक्सर्स एक स्थिर लय में अटैक करते हैं- जैब, स्ट्रेट पंच, हुक, बच निकलना। जैब स्ट्रेट पंच, फिर चकमा देना। अपरकट, स्ट्रेट पंच, हुक, हुक।
वहीं दूसरी तरफ मॉय थाई फाइटर्स टूटी हुई लय में अटैक करते हैं- जैब, रुके। जैब, टीप। फिर रुके। जैब, किक, किक। ब्लॉक किया। किक लगाई। फिर रुके। स्ट्रेट पंच और एल्बो।
अटैक में बदलाव काफी तरह से किया जा सकता है और इसे सीखने में काफी समय लगता है।
सिर की मूवमेंट
सिर की मूवमेंट भी बॉक्सिंग और मॉय थाई में काफी बड़ा अंतर है।
बॉक्सर्स को एल्बोज़, किक्स और नीज़ लगने की चिंता नहीं करनी होती इसलिए वो पंचों से बच निकलने के लिए आराम से अपने सिर को आगे-पीछे, दाएं-बाएं कर सकते हैं।
मॉय थाई में सिर को ज्यादा हिलाना दिक्कत भरा कदम हो सकता है। हुक से बच निकलने के लिए सिर को नीचे करने की वजह से चेहरे पर घुटने के अटैक का खतरा बना रहता है। दाएं-बाएं होने की वजह से विरोधी एक जबरदस्त हाई किक से वार कर सकता है।
हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि मॉय थाई फाइटर्स चेहरे की तरफ आने वाले हर वार को खाते हैं। वो अपने सिर को हिलाते हैं और किक्स से बचने के लिए पूरे शरीर का भी इस्तेमाल करते हैं।
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