बाकी स्ट्राइकिंग आर्ट्स की तुलना में डच किकबॉक्सिंग को क्या सबसे अलग बनाता है?
जरा किकबॉक्सिंग के बारे में सोचिए। अब उसमें खतरनाक लो किक्स, तगड़े पंच, स्पिनिंग बैक फिस्ट, जबरदस्त पावर और आक्रामकता शामिल कर लीजिए। डच किकबॉक्सिंग दुनिया के सबसे पॉपुलर स्ट्राइकिंग आर्ट्स में से एक है।
ये 90 और 2000 के दशक में बहुत पॉपुलर हुआ। 19 किकबॉक्सिंग वर्ल्ड ग्रां प्री चैंपियशिप्स में से 15 नीदरलैंड्स ने जीती थी।
लेकिन डच किकबॉक्सिंग को बाकी मार्शल आर्ट्स से अलग क्या बनाता है? क्या ये इसका स्टाइल है? क्या ये ट्रेनिंग है? क्या फिर ये फिलोसोफी है? या इन सब चीज़ों का मिश्रण है।
डच किकबॉक्सिंग की शुरुआत
नीदरलैंड्स में किकबॉक्सिंग की शुरुआत 1970 के दशक में हुई, जब काफी सारे डच लोग जापानी किकबॉक्सिंग सीखने के लिए जापान गए, जो कि मॉय थाई और क्योकुशिन कराटे का मिलाजुला रूप था।
जब डच लोग अपने देश वापसी आए तो उन्होंने जापान में जो कुछ सीखा, उसे नीदरलैंड्स में सिखाना शुरु कर दिया।
सालों के इस सफर में उन्होंने इस स्टाइल में ज्यादा मॉय थाई और वेस्टर्न बॉक्सिंग टेक्निक्स को शामिल कर लिया, जो अब डच बॉक्सिंग के नाम से जाना जाता है।
डच किकबॉक्सिंग स्टाइल
डच किकबॉक्सिंग में मुख्य रूप से तीन मार्शल आर्ट्स क्योकुशिन कराटे, वेस्टर्न बॉक्सिंग और मॉय थाई का इस्तेमाल होता है।
इसमें एथलीट क्योकुशिन स्टाइल किक्स को विरोधी के पैरों, सिर और बॉडी पर मारते हैं। ये किकबॉक्सिंग के वेस्टर्न स्टाइल से अलग है क्योंकि उसमें किकबॉक्सर्स कमर के नीचे अपने विरोधी पर वार नहीं कर सकते।
जब लोग किकबॉक्सिंग के बारे में सुनते हैं, तो उन्हें लगता होगा कि एथलीट सिर्फ किक का इस्तेमाल करते होंगे। हालांकि, डच लोग अपनी आर्ट फॉर्म में बॉक्सिंग को मिक्स करने के लिए भी जाने जाते हैं। वो प्रतिद्वंदी के डिफेंस को कमजोर करने के लिए पंचों का यूज़ करते हैं और उसके बाद फिनिशर का इस्तेमाल करते हैं।
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नीकी “द नेचुरल” होल्ज़कन ने पिछले साल नवंबर में कोस्मो अलेक्सांद्रे को दूसरे राउंड में अपरकट मार नॉकआउट कर साबित किया था कि डच बॉक्सिंग कितनी खतरनाक हो सकती है। ये मुकाबला इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए ONE: WARRIOR’S DREAM में हुआ था।
डच मार्शल आर्टिस्ट्स मॉय थाई की काफी सारी तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। इसमें जम्पिंग नी और फ्रंट किक्स उनके प्रमुख स्ट्राइकिंग वेपन माने जाते हैं।
जिस तरह से डच लोगों ने 3 अलग-अलग स्टाइल को किकबॉक्सिंग से जोड़ा है, यही उन्हें बाकी स्टाइल से अलग बनाता है।
एक नीदरलैंडर की तरह ट्रेनिंग
डच किकबॉक्सिंग को उसकी ट्रेनिंग भी बाकी किकबॉक्सिंग स्टाइल से अलग बनाती है।
वैसे तो इसमें मॉय थाई की काफी सारे टेक्निक्स का यूज़ होता है, लेकिन वो हाथों के जरिए अटैक और डिफेंस की ट्रेनिंग थाई एथलीटों से ज्यादा करते हैं। थाई इस तरह की ट्रेनिंग को लेन चेंग बोलते हैं। डच एथलीट इस ट्रेनिंग को ज्यादा जोश के साथ करते हैं।
क्योंकि वो ट्रेनिंग के दौरान ज्यादा मेहनत करते हैं, यही चीज़ उन्होंने दुनिया के बेहतरीन मार्शल आर्टिस्ट्स में से एक बनाती है। थाई बॉक्सर्स पैड के जरिए अपने ट्रेनर के साथ मिलकर कई तरह की ड्रिल्स करते हैं, मगर डच कुछ ही ड्रिल्स को बार-बार करते रहते हैं। ये ड्रिल्स 6 तकनीक या उससे ज्यादा हो सकती है, इसको करने वाले बॉक्सर की स्किल इम्प्रूव होती है।
डच किकबॉक्सिंग का आधार
ज्यादातर ट्रेडिशनल मार्शल आर्ट्स के पीछे एक आधार/दर्शन है। मॉय थाई में नक मॉय (मॉय थाई की प्रैक्टिस करने वाला) अपनी ट्रेनिंग और प्रतिदवंदिता में रीति-रिवाजों को भी मिक्स कर देता है। लेकिन डच किकबॉक्सिंग के पीछे कोई फिलोसोफी नहीं है।
डच किकबॉक्सिंग काफी सारे स्ट्राइकिंग आर्ट्स का मिश्रण है। दुनिया भर के फैंस को 25 अक्टूबर के दिन ONE: DAWN OF VALOR के को-मेन इवेंट में डच किकबॉक्सिंग का जलवा देखने को मिला, जब ONE लाइटवेट किकबॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन रेगिअन “द इम्मोर्टल” इरसल अपने टाइटल को नीकी “द नेचुरल” होल्ज़कन के खिलाफ डिफेंड करेंगे।
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