कैसे रेसलिंग के दिनों की पुरानी चोट से निजात पाकर वापसी कर रही हैं ऋतु फोगाट
ONE Championship गुरुवार, 29 सितंबर को ONE 161: Petchmorakot vs. Tawanchai के साथ धमाकेदार अंदाज में वापसी कर रहा है। इसके कार्ड में एक भारतीय मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट भी शामिल है, जो करीब 9 महीनों बाद सर्कल में कदम रख रही होंगी।
पिछले साल ONE विमेंस एटमवेट वर्ल्ड ग्रां प्री के फाइनल में स्टैम्प फेयरटेक्स के खिलाफ मुकाबले के बाद ऋतु “द इंडियन टाइग्रेस” फोगाट को कंधे की चोट ज्यादा परेशान करने लगी थी, लेकिन वो अब उससे उबरते हुए धमाकेदार वापसी करने के लिए तैयार हैं। इस बार उनकी टक्कर सिंगापुर की टिफनी टियो की कठिन चुनौती से होगी, जिनसे उनका सामना एटमवेट मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स मुकाबले में होगा।
टिफनी टियो 2 बार ONE विमेंस स्ट्रॉवेट वर्ल्ड टाइटल चैलेंजर रही हैं और अभी तक जिओंग जिंग नान ही अकेली ऐसी फाइटर हैं, जो टियो को हरा पाई हैं। अब इस कड़े मुकाबले से पहले फोगाट ने कई विषयों पर बात की है।
उन्होंने बताया कि एटमवेट वर्ल्ड ग्रां प्री के फाइनल में हार के बाद चोट से उबर पाना उनके लिए आसान नहीं था और यहां तक कि उन्हें ग्रां प्री के दौरान भी आराम करने की सलाह दी गई थी, इसके बावजूद उन्होंने फाइटिंग जारी रखने का निर्णय लिया।
फोगाट ने कहा:
“ये चोट मुझे रेसलिंग के दिनों से परेशान कर रही है। मुझे पिछले साल लगातार फाइट्स करनी थीं और डॉक्टर ने मुझे आराम करने की सलाह दी, लेकिन उस समय मेरे पास आराम करने का विकल्प नहीं था। आखिरी मैच के बाद मेरी चोट ज्यादा दिक्कत करने लगी इसलिए डॉक्टर ने मुझे आराम करने के लिए कहा। मैं भी चोट से पूरी तरह रिकवर करते हुए शानदार अंदाज में वापसी करना चाहती थी। मेरा कंधा अब ठीक हो गया है और वापसी के लिए तैयार हूं।”
असल में “द इंडियन टाइग्रेस” ने भारत वापस आकर फिजियोथेरेपी करवाई थी। वहीं सिंगापुर में दोबारा ट्रेनिंग शुरू करने के बाद उनके कोच ने उनके कंधे को तंदरुस्त करने में काफी मदद की।
अपनी रिहैबिलिटेशन प्रक्रिया को लेकर उन्होंने कहा:
“भारत में एक फिजियो ज़ीनिया समर हैं, जिन्होंने मेरी काफी मदद की है। वो मेरी बहुत अच्छी दोस्त हैं और उन्होंने मेरी बहुत मदद की। मुझे जब भी चोट को लेकर कोई परेशानी होती है, तब मैं उनसे बात कर लेती हूं। उन्होंने मुझे भारत आकर रिहैब करवाने की सलाह दी थी। वहीं सिंगापुर आकर ट्रेनिंग के दौरान मेरे कोच ने मुझे कंधे को मजबूत करने में मदद की।”
रिहैब और रिकवरी के दौरान खुद को प्रेरित रखा
एक एथलीट के लिए चोट से उबर पाना आसान नहीं होता और जब कई सालों से चोट परेशान कर रही हो तो कोई भी एथलीट मानसिक दबाव भी महसूस करने लगता है।
ऐसे समय में खुद को प्रेरित करना और अपने आत्मविश्वास को स्थिर रखना भी बहुत मुश्किल होता है, लेकिन “द इंडियन टाइग्रेस” ने मजबूत मानसिकता बनाए रखी और केवल चोट को ठीक करने पर ध्यान दिया।
28 वर्षीय भारतीय स्टार ने कहा:
“ये चीज़ें हर एक एथलीट के जीवन में होती हैं। मेरा फोकस केवल कंधे की चोट को ठीक करने पर था, जिससे मैं दोबारा फिट और स्ट्रॉन्ग बन सकूं। मैंने ठीक वैसा ही किया और ठीक होने के बाद ट्रेनिंग शुरू की और जब आत्मविश्वास बढ़ना शुरू हुआ, तब जाकर मैंने फाइट के लिए हामी भरी।
“ये एक ऐसा समय होता जब कोई एथलीट कुछ करना चाहता है, लेकिन चोट के कारण नहीं कर पाता। ट्रेनिंग ना कर पाना एक एथलीट के लिए सबसे मुश्किल समय होता है और कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ। मैं कड़ी मेहनत करना चाहती थी, लेकिन नहीं कर सकती थी।
“मैं ये कहकर खुद को प्रेरित करने की कोशिश करती थी कि मुझे इस चोट से पूरी तरह उबरने की जरूरत है। मैंने अपना फोकस केवल कंधे को ठीक करने पर लगाया और साथ ही लोअर बॉडी स्ट्रेंथ को बढ़ाने पर जोर दिया। मैं अपना मनोबल बढ़ाने के लिए योग और ध्यान लगाती हूं।”
फोगाट सोशल मीडिया पर अक्सर प्रेरणादायक बातें शेयर करती रहती हैं।
और कहती हैं कि वो अगर उनके जरिए एक भी व्यक्ति को अपनी बातों से प्रोत्साहित कर पाती हैं तो ये उनके लिए किसी बड़ी उपलब्धि के समान होगी और साथ ही इन बातों से उन्हें खुद को प्रोत्साहित रहने में मदद मिलती है।
उन्होंने कहा:
“मैं जैसा सोचती हूं, उसी तरह का पोस्ट करती हूं, इससे मुझे सकारात्मक और प्रोत्साहित रहने में मदद मिलती है। ऐसा नहीं है कि मुझे जो भी मिला और बिना सोचे उसे पोस्ट कर दिया। मैं खुद उन्हें महसूस करने के बाद पोस्ट करती हूं। मैं इनके जरिए एक भी व्यक्ति को प्रेरित कर पाई तो मेरे लिए बड़ी बात होगी।