ONE चैंपियनशिप की बेस्ट योद्धा से भिड़ने को तैयार हैं डेनिस ज़ाम्बोआंगा
डेनिस ज़ाम्बोआंगा “द मेनेस” को अपने ONE चैंपियनशिप डेब्यू में ही खुद से कहीं अधिक बेहतर फाइटर जिहिन राड़ज़ुआन से भिड़ना है लेकिन डेनिस भी कह चुकी हैं कि उन्हें जीत से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
अगले शुक्रवार यानी 6 दिसम्बर को जिहिन राड़ज़ुआन को अपने घरेलू फैंस का साथ भी मिलने वाला है क्योंकि ONE: MARK OF GREATNESS का आयोजन कुआलालंपुर में हो रहा है।
राड़ज़ुआन भी मलेशिया की निवासी हैं इसलिए यह तो तय है कि लगभग पूरा क्राउड़ उनका ही समर्थन करने वाला है। साथ ही ज़ाम्बोआंगा का भी मानना है कि उन्हें चुनौतियों का सामना करना पसंद है और इस चुनौती का भी वो डटकर सामना करेंगी।
अपने करियर की शुरुआत को लेकर बताया है कि,”जब मैं 20 साल की थी तभी मुझे यहाँ फाइट करने का ऑफर मिला था लेकिन उस समय मैं ट्रेनिंग कर रही थी और उतना अनुभव भी मेरे पास नहीं था लेकिन अब मुझे लगता है कि मैं सभी चुनौतियों के लिए तैयार हूँ।“
जाहिर तौर पर अब अनुभव होने के कारण उनके स्किल सेट में भी सुधार हुआ है और पिछले 6 महीनों से वो लगातार अच्छा प्रदर्शन करती आ रही हैं। अपने सपने को पूरा करने के लिए वो थाईलैंड को छोड़ यहाँ आई हैं।
अच्छे कोच की निगरानी में उन्हें अपने मूव सेट में भी बदलाव किया है और उन्हें अपनी दोस्त स्टैम्प फेयरटेक्स से भी काफी कुछ सीखने को मिला है।
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“मुझे लगता है कि मैंने खुद में काफी सुधार किया है क्योंकि ऐसा मैं महसूस कर पा रही हूँ। अच्छे कोच और अनुभवी फाइटर्स का साथ मिलने से मेरा खुद पर भी भरोसा बढ़ने लगा है।“
“ना केवल मेरी स्ट्रीकिंग में सुधार हुआ है बल्कि रैसलिंग स्किल्स भी अब पहले से बेहतर हैं, ऐसा इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि हमारे कोच पूर्व रैसलिंग चैंपियन रह चुके हैं।“
ज़ाम्बोआंगा ने ONE: MARK OF GREATNESS में जिहिन का सामना करने के लिए उनकी काफी फाइट देखी हैं जिससे उन्हें पता चला है कि उनकी प्रतिद्वंदी की ताकत और कमजोरी क्या हैं। साथ ही वो जिहिन का काफी सम्मान भी करती हैं।
ज़ाम्बोआंगा का मानना है कि उनके हाथ जिहिन की एक बड़ी कमजोरी लगी है जिसका वो ज़रूर फायदा उठाना चाहेंगी।
“राड़ज़ुआन काफी टैलेंटेड हैं और मैंने इससे पहले कभी बाएं हाथ के योद्धा का सामना नहीं किया है इसलिए यह मेरे लिए एक कड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
“वो मॉय थाई की चैंपियन रही हैं, जिउ-जित्सू चैंपियन भी रही हैं। अनुभव में तो मैं उनके सामने नहीं टिक सकती लेकिन रैसलिंग के जरिए ज़रूर मैं उन्हें हरा सकती हूँ, उनकी आक्रामकता पर लगाम लगाने के लिए मैंने कुछ प्लान तैयार किए हैं।
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“मुझे ऐसा सुनने में आया है कि वो जैनी हुआंग के साथ भी फाइट कर चुकी हैं, जैनी और मैं यहाँ कभी-कभी साथ ट्रेनिंग करते हैं।
वो जिउ-जित्सू की पर्पल बेल्ट होल्डर रही हैं और मैं केवल ब्लू बेल्ट होल्डर, इसके बावजूद मैं उन्हें कड़ी चुनौती देने के लिए तैयार हूँ।“
ज़ाम्बोआंगा का यह भी मानना है कि उन्हें जीत केवल अपनी प्रतिद्वंदी को नीचे गिराकर ही मिल सकती है मगर इसके अलावा वो आक्रामक रवैया अपनाने में भी संकोच नहीं करेंगी।
इसके लिए उन्हें दुनिया के बेस्ट स्ट्राइकिंग कोच में से एक ने ट्रेन किया है और जिहिन पर वो नॉकआउट के जरिए जीत हासिल करने की कोशिश करने वाली हैं।
“मुझे लगता है कि यह फाइट एकतरफा तो बिलकुल नहीं होने वाली, इसी बीच मैं जिहिन की स्ट्राइकिंग स्किल्स को भी परखना चाहूंगी।
“वो आक्रामक हैं और सबसे बेहतरीन स्ट्राइकर्स में से एक हैं और उन्होंने स्टैम्प को भी चुनौती के लिए ललकारा है लेकिन उससे पहले उन्हें मुझे हराना होगा।“
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