माइकी मुसुमेची ने BJJ में स्टेरॉइड के इस्तेमाल पर तीखी प्रतिक्रिया दी – ‘नैतिक रूप से गलत’
मौजूदा ONE फ्लाइवेट सबमिशन ग्रैपलिंग वर्ल्ड चैंपियन माइकी “डार्थ रिगाटोनी” मुसुमेची तीन भार वर्ग ऊपर जाकर हमवतन अमेरिकी सुपरस्टार केड रुओटोलो को उनके ONE लाइटवेट सबमिशन ग्रैपलिंग वर्ल्ड टाइटल के लिए चुनौती देंगे, जिसकी चर्चा BJJ (ब्राजीलियन जिउ-जित्सु) जगत में हो रही है।
दो डिविजन के चैंपियन बनने के अलावा भी मुसुमेची 7 सितंबर को ONE 168: Denver में होने वाले मुकाबले के लिए उत्साहित हैं क्योंकि ये ऐसे दो नेचुरल एथलीट्स की उस खेल में टक्कर है, जहां खिलाड़ियों को प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन करने के लिए जाना जाता है।
लंबे समय से सबमिशन ग्रैपलिंग में स्टेरॉइड के इस्तेमाल के आलोचक रहे डार्थ रिगाटोनी ने हाल ही में onefc.com से बात करते हुए बताया कि क्यों ये उनके और खेल के भविष्य के लिए अहम है।
उनका मानना है कि स्टेरॉइड के इस्तेमाल के खिलाफ बोलना उनका कर्तव्य है ताकि बाकी एथलीट्स परफॉर्मेंस बढ़ाने वाले पदार्थ ना लें। भले ही स्टेरॉइड का इस्तेमाल ONE में पूरी तरह से बैन है, लेकिन संगठन के बाहर इसका इस्तेमाल होता है।
मुसुमेची ने कहा:
“मैं हमेशा सोचता हूं कि कैसे समाज और लोगों पर अच्छा असर डाल सकता हूं। मुझे लगता है कि मैं जिउ-जित्सु जैसे कठिन खेल में हूं, जहां अब भी ड्रग्स और स्टेरॉइड लेना आम बात है। किसी और खेल में ऐसा नहीं होता है। ऐसे में मैं दिखाना चाहता हूं कि हां, लोग स्टेरॉइड ले रहे हैं, लेकिन सभी नहीं ले रहे और मैं उन्हें हरा रहा हूं।
“सभी ले रहे हैं तो हम भी ले लेते हैं, ये मानसिकता गलत है। आप चीटिंग कर रहे हैं।”
ONE में स्टेरॉइड का इस्तेमाल प्रतिबंधित है और सभी एथलीट्स की टेस्टिंग होती है।
लेकिन BJJ में इसका धडल्ले से इस्तेमाल होता है और यहां तक कि कई सारे टॉप स्टार्स परफॉर्मेंस बढ़ाने वाले ड्रग्स लेते हैं।
मुसुमेची ने इस बारे में कहा:
“अगर आप किसी संगठन में हैं, जहां ड्रग टेस्ट नहीं होते। हां, आपके संगठन में वो पेपर पर वैध है। लेकिन आप नैतिक रूप से गलत कर रहे हैं। आप अपने शरीर के साथ खिलवाड़ कर रहे हो।”
एक नेचुरल एथलीट के तौर पर प्रतियोगिता करते हुए उन्होंने स्टेरॉइड लेने वाले प्रतियोगियों को हराया है, ऐसे में न्यू जर्सी के एथलीट का गुस्सा होना समझा जा सकता है।
मुसुमेची ने कहा कि BJJ में डबल स्टैंडर्ड है, एक तरफ सच्चाई की बात की जाती है और दूसरी तरफ स्टेरॉइड लेने वाले एथलीट्स की तारीफ की जाती है।
लेकिन मुसुमेची का कहना है कि अब मानसिकता में थोड़ा बदलाव आ रहा है:
“मैं जिउ-जित्सु में इस नकली संस्कृति से तंग आ गया हूं। एथलीट्स ड्रग्स लेते हैं और कोई कुछ नहीं कहता। मैं अमेरिकी हूं और हमारे खेलों फुटबॉल और बाकियों में कुछ मूल्य होते हैं।
“मेरा मानना है कि जिउ-जित्सु में पैसा आने की वजह से इसमें धीरे-धीरे बदलाव आएगा। हम अभी सही रास्ते पर हैं।”
मुसुमेची का कहना है कि स्टेरॉइड के इस्तेमाल से शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के बाद बदलाव आएगा
कई बार के वर्ल्ड चैंपियन के रूप में माइकी मुसुमेची को अमेरिका में जन्मा सबसे बेहतरीन BJJ प्रतियोगी माना जाता है और उनका मानना है कि बिना ड्रग्स के भी सफलता हासिल की जा सकती है।
एक नेचुरल एथलीट के तौर पर वो काफी फिट हैं और आगे आने वाले सालों तक मुकाबला कर पाएंगे, जो कि स्टेरॉइड लेने वाले एथलीट्स के लिए संभव नहीं होगा:
“मैं 28 साल का हूं, लेकिन क्या मैं 28 का दिखता हूं? मैं 28 से कम का दिखता हूं। आप जिउ-जित्सु में 28-29 साल के एथलीट्स को देखोगे तो लगेगा कि 30 से ज्यादा या 40 का है। ये दिखाता है कि स्टेरॉइड ने आपके शरीर के साथ क्या किया है।
“मैं स्वस्थ, जवान और बिना चोटों के हूं। मेरे करियर में अभी बहुत समय बाकी है। लेकिन ये लोग चीटिंग कर खुद के करियर को छोटा और जिउ-जित्सु का नुकसान कर रहे हैं।”
फ्लाइवेट सबमिशन ग्रैपलिंग वर्ल्ड चैंपियन की मानें तो स्टेरॉइड के बहुत ही ज्यादा दुष्प्रभाव होते हैं।
उन्होंने कहा:
“समय के साथ इसमें बदलाव आएगा क्योंकि एक समय ऐसा आएगा, जब (इस खेल में) पैसा होगा और लोगों को टेस्टिंग हुआ करेंगी।
“या दुर्भाग्यवश किसी को दिल की परेशानी होगी या इससे मौत हो सकती है, तब लोगों को अहसास होगा कि ‘हमें ये नहीं करना चाहिए था। ये बुरा है।’
“तो देखते हैं। लेकिन लोग इस बदलाव के बारे में बात कर रहे हैं, जो काफी अच्छा है।”