अबासोव पर मिली गजब की जीत पर क्रिश्चियन ली बोले – ‘फिर ये मुकाबला जंग में बदल गया’
क्रिश्चियन ली ने 19 नवंबर को एक और धमाकेदार प्रदर्शन करके ये साबित कर दिया कि वो दुनिया के सबसे बेहतरीन पाउंड-फोर-पाउंड मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट्स में से एक हैं।
ONE लाइटवेट वर्ल्ड चैंपियन ने एक भार वर्ग ऊपर जाकर ONE वेल्टरवेट वर्ल्ड टाइटल के लिए कियामरियन अबासोव को ONE Fight Night 4 में चुनौती दी और विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ते हुए दूसरे डिविजन में गोल्ड हासिल किया।
“द वॉरियर” को पहले राउंड में काफी कठिनाइयों का सामना करते हुए टिके रहना पड़ा। उस राउंड में डिफेंडिंग किंग ने उन्हें बुरी तरह से चोटिल कर दिया था, लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत और टिके रहने की क्षमता का प्रदर्शन करते हुए शानदार वापसी करते हुए इतिहास रच डाला।
अपनी जीत पर बात करते हुए ली ने कहा:
“वो काफी जबरदस्त फाइट थी। मुझे लगता है कि मैं और अबासोव फाइट खत्म होने के बाद काफी चोटिल हो चुके थे, लेकिन वो रात कमाल की थी। मैं इस बात के लिए आभारी हूं कि विजेता के तौर पर मेरा हाथ उठाया गया।
“जाहिर है कि जीत पर फिर से बात करते हुए मुझे अब भी लगता है कि मैं मुकाबले में और अच्छा प्रदर्शन कर सकता था। मुझे लगता है कि अगर मैं अपनी पूरी क्षमता के साथ मुकाबला कर रहा होता तो मैं उन्हें पहले ही राउंड में फिनिश कर चुका होता, लेकिन अबासोव के जल्द ही नॉकडाउन करने से मैं थोड़ा सुस्त पड़ गया था। फिर ये मुकाबला जंग में बदल गया, लेकिन मैं किसी भी चीज के लिए तैयार था।”
शुरुआती राउंड में हुए हमलों से बच निकलने के बाद ली ने मुकाबले का रुख बदलते हुए अपनी स्ट्राइकिंग और रेसलिंग का इस्तेमाल “ब्रेज़ेन” पर दूसरे और तीसरे राउंड में दबाव बनाने के लिए किया।
फिर चौथे राउंड में “द वॉरियर” अपनी रफ्तार बढ़ाते हुए अबासोव पर हावी हो गए। उन्होंने अपनी एल्बोज़ से उन्हें धराशाई किया और फिर ग्राउंड-एंड-पाउंड के जरिए तकनीकी नॉकआउट से फिनिश कर दिया।
नतीजतन, 24 साल के एथलीट ने इस जीत का श्रेय अपनी कड़ी मेहनत को दिया।
उन्होंने कहा:
“चैंपियनशिप राउंड्स में मुकाबला करना काफी अलग होता है। इसमें काफी सारी ट्रेनिंग और सही समय आने पर अच्छे कार्डियो की जरूरत पड़ती है। साथ ही अपने कार्डियो पर किसी भी समय संदेह न करने के लिए काफी कड़ी मानसिक ताकत की जरूरत पड़ती है, ताकि आप मुकाबले में किसी भी क्षण जरूरत से ज्यादा विश्लेषण न कर बैठें। आपको सिर्फ अपनी समझदारी और ट्रेनिंग पर भरोसा करना होता है।
“ऐसे में जब भी चैंपियनशिप राउंड्स की बात आती है तो चीजें काफी कुछ आपके ट्रेनिंग रूम के दौरान किंकिंग और उससे बचने जैसी बाकी सीखी गईं चीजों पर निर्भर करती हैं। दरअसल जब आप थक जाते हैं, जैसा कि मेरे मुकाबले में हुआ कि मैं पहले ही राउंड में नॉकडाउन हो गया था, तब ज्यादा कुछ सोचने लायक नहीं बचता है।”
क्रिश्चियन ली: ‘दोनों डिविजन में अपने खिताब का बचाव करने वाला हूं’
किसी भी डिविजन में अपना दबदबा बनाए रखना काफी मुश्किल काम होता है, लेकिन क्रिश्चियन ली ने तय कर लिया है कि वो लाइटवेट और वेल्टरवेट में बराबर से राज करेंगे।
सिंगापुर-अमेरिकी सुपरस्टार के लिए दोनों बेल्ट हासिल करना काफी पहले से उनका सपना रहा है। हालांकि, इस जगह पहुंचकर भी उनका सफर खत्म नहीं हुआ है।
अब वो दोनों वेट क्लास के टॉप एथलीट्स से अपने खिताब का बचाव करते हुए, जितने लंबे समय तक हो सके डबल चैंपियन बने रहना चाहते हैं।
ली ने कहा:
“2 डिविजन का चैंपियन बनकर काफी अच्छा महसूस हो रहा है। हमेशा से मेरा सपना वर्ल्ड टाइटल जीतना, उसका बचाव करना और फिर दूसरे वर्ल्ड टाइटल पर कब्जा जमाना था। फिलहाल, मैं ये सारी चीजें कर चुका हूं और अपने फाइट गेम के करियर में काफी पहले ये सब हासिल कर लेने के चलते अच्छा महसूस हो रहा है, लेकिन अब भी काफी सारी उपलब्धियां हासिल करनी बाकी हैं।
“मैं अब भी अपने मुकाबले जारी रखना चाहता हूं। अपनी क्षमताओं के अनुसार सबसे अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं और दोनों खिताब को डिफेंड करते रहना चाहता हूं।”
दोनों डिविजन में ऐसे कई सारे कंटेंडर्स हैं, जो मौजूदा किंग के खिलाफ मौका हासिल करने के लिए उत्साहित हैं।
ऐसे में अगर ली की बात की जाए तो वो किसी भी एथलीट के लिए तैयार हैं, लेकिन अब उनके पास कुछ ही ऐसे नाम हैं, जो साल 2023 में उनका सामना कर सकते हैं।
“द वॉरियर” ने बताया:
“मुझे पता है कि अगला प्रतिद्वंदी कौन होगा। इसकी तस्वीर पूरी तरह साफ है। मुझे लगता है कि बाकी सारे एथलीट्स में से मेरा मुकाबला 3 फाइटर्स से होने की उम्मीद है। इसमें सायिद इज़ागखमेव (लाइटवेट), मुराद रामज़ानोव (वेल्टरवेट) और रॉबर्टो सोल्डिच (वेल्टरवेट) हैं।
“फिलहाल, मुझे लगता है कि दोनों डिविजन को मिलाकर यही तीन चोटी के एथलीट्स हैं और मेरा मुकाबला इन्हीं तीनों में से एक के साथ होने वाला है। ऐसे में मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि पहले सामना किससे होगा।
“मैं अपनी बात करूं तो मुझे मैचमेकर बनने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है। मैं बस मुकाबले में जाना चाहता हूं और जो भी एथलीट मेरे सामने हो, उससे बाउट करने के लिए तैयार रहना चाहता हूं।”