सामी सना ने अपने माता-पिता की प्रेरणा से पाई ONE सुपर सीरीज की चमक
ONE फेदरवेट किकबॉक्सिंग वर्ल्ड ग्रैंड प्रिक्स जीतना सामी “एके 47” सना के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। हालांकि यह उनके गौरव बढ़ाने के सपनों को पूरा करने के लिए बल्कि वह इसके जरिए अपने माता-पिता का आभार जता सकेंगे।
टूर्नामेंट में विजेता को 1 मिलियन डॉलर की इनामी राशिद मिलेगी। ऐसे में शुक्रवार, 16 अगस्त को ONE: ड्रीम्स ऑफ गोल्ड पर फ्रेंचमैन टूर्नामेंट के सेमीफ़ाइनल जीत हासिल करने वाला योद्घा इस जीवन बदल देने वाली पुरस्कार राशि की ओर एक कदम और बढ़ा देगा।
जैसा कि वह थाईलैंड के बैंकॉक में रूस के डझाबर “जेंगीस खान” अस्केरोव से मुकाबला करने को तैयार है। तो इसको लेकर 30 वर्षीय सना का कहना है कि उनके माता-पिता के समर्थन व प्रेरणा के कारण ही आज उन्होंने यह चमक हासिल की है। उन्हीं की प्रेरणा था कि अभावों में जीवन जीने वाले एक युवा ने तीन बार विश्व चैंपीयन बनने का रास्ता तय किया।
पेरिस में जन्मे और बड़े हुए
सना के माता-पिता अपनी युवा अवस्था में ही अल्जीरिया से फ्रांस चले गए थे, ताकि उन्हें बेहतर काम मिल सके और अपने परिवार की परवरिश और बेहतर तरीके से कर सके। इसके बाद वो पेरिस में बस गए और वहीं सना का जन्म हुआ।
उनका पालन-पोषण उनके छोटे भाई और बहन के साथ हुआ था जहां उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ी। हालांकि, उन्होंने मार्शल आर्ट के रूप में भी अपना जीवन बदलने का मकसद पा लिया।
सना का कहना है कि उन्हें पेरिस पसंद है। यह वह जगह है जहाँ वह पैदा हुए और बड़े हुए। इस जगह पर उन्होंने अपने अच्छे व बुरे पलों को बिताया है और यहीं उन्हें पागलपन के सभी काम किए हैं।
जब वह छोटे तो बहुत अशांत रहते थे या फिर कह सकते हैं कि वह एक उपद्रवी बालक थे। वह विशेष रूप से चैनल के लिए कठिन थे और उन्होंने बहुत जल्दी स्कूल छोड़ दिया था। उन्हें इस आदत को छोड़ने व अपना जीवन बदने के लिए कुछ और खोजने की जरूरत थी।
मार्शल आर्ट ने दिलाई मुक्ति
युवा सना महज 13 साल की उम्र में पहली बार एक जिम में गए थे और एक साल बाद ही वह प्रतिस्पर्धा के लिए रिंग में पहुंच गए। वह बताते हैं कि उन्हें मुझे मार्शल आर्ट्स के बारे कुछ भी जानकारी नहीं थी। इसके बाद भी उन्हें इससे प्यार हो गया। उस दौरान उन्हें समझ आ गया कि उन्हें मुवा थाई की जरूरत है और यह उन्हें उपहार के रूप में मिली है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने महज 14 साल की आयु में अपनी पहली फाइट की थी। उस दौरान वह बिना किसी डर व आशंका के रिंग में उतर गए थे और पहले ही राउंट में मुकाबला खत्म हो गया। उसके बाद उन्हें लगा कि वह थाई बॉक्सर बनने के लिए तैयार है। मुवा थाई ने उन्हें नई जिंदगी दी तथा इसी ने उन्हें सम्मान दिलाया है। यह एक अद्भुत कला है और अब यही उनके लिए सब कुछ है जैसे- शिक्षा व जीवन जीने का तरीका।
खेल के लिए उनका प्यार उन्हें अपने पेरिस में ले गया। जहां उन्होंने अनुशासन के मूल्यों के बारे में अधिक सीखा और अपने कौशल को तेज किया। इसी प्रयास ने उन्हें तीन बार मुवा थाई और विश्व चैंपियन बनाने का मौका दिया।
सबसे बड़ी प्रेरणा
सना के माता-पिता चाहते थे कि वह वो काम करें जिसमें उसे खुशी मिले। हालांकि जब उनके बेटे ने पहली बार रिंग में अपना करियर संभाला तो वह खुशी से नहीं उछले। उन्होंने हर कदम पर अपना समर्थन दिया।
उनका प्रोत्साहन “एके 47” के लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि उन्होंने अपना रास्ता ढूंढ लिया, लेकिन किसी ने भी उन्हें अपनी मां की हिम्मत से ज्यादा प्रेरित नहीं किया। क्योंकि उन्होंने अपनी खुद की बहुत गंभीर लड़ाई लड़ी थी।
सना बताते हैं कि जब वह 19 साल के थे तो उनकी मां को फेंफड़ों का कैंसर हो गया था। उनके भाई-बहन उनसे छोटे थे। वह बहुत मुश्किल समय था, लेकिन उन्होंने परिवार के साथ लड़ते हुए इस मुश्किल समय से छुटकारा पा लिया। उन्हीं चुनौतियों से उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की ताकत मिली थी।
जब सना की मां उस बीमारी से उबर गई, तो उनके बेटे के सफल होने का संकल्प पहले से कहीं ज्यादा मजबूत था। अपने जीवन को समर्पित करने के बाद अपने पति के साथ बच्चों को एक बेहतर भविष्य देने के लिए किए गए उनके संघर्ष को देखकर ही “ऐके47” अपने करियर में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए दृढ संकल्पित हो गए।
सना ने बताया कि वह अपनी मां को खुश करने के लिए सफल होना चाहते हैं। इसका कारण है कि उनकी मां ने अपने जीवन में बहुत कठिनाई व निराशाएं देखी थी। वो अल्जीरिया से फ्रांस पहुंचे, जब वे बहुत छोटे थे। नौकरी पाने, हमें शिक्षित करने और अपना जीवन बनाने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है।
सबसे बड़ा पुरस्कार
140 से अधिक पेशेवर मुकाबलों के बाद फ्रेंचमैन पिछले साल उस समय मार्शल आर्ट्स के लिए वैश्विक स्तर पर पहुंचे थे जब ONE सुपर सीरीज लॉन्च की गई थी। मई में उन्होंने विश्व ग्रैंड प्रिक्स क्वार्टर फाइनल में योड्संकलाई आईडब्ल्यूई फेयरटेक्स को हराकर अपने करियर की 134वीं और सबसे बड़ी जीत हासिल करते हुए दुनिया को चौंका दिया था।
अब वह $ 1 मिलियन के पुरस्कार के लिए लड़ाई के मौके से सिर्फ एक मैच दूर है, जो उनके परिवार के जीवन को हमेशा के लिए बदल देगा। सना ने कहा कि वह बहुत सामान्य परिवार से आते हैं। वो पैसों का बहुत सम्मान करते हैं, क्योंकि इसे अर्जित करना बहुत कठिन है।
उनके माता-पिता ने उन्हें पालने व खिलाने के लिए बहुत मेहनत की है। इसके अलावा उन्होंने हमेशा अपने बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। ऐसे में अब वह 150 से अधिक फाइट करने के बाद उस जगह पर पहुंच गए हैं। जहां मिलने वाली पुरस्कार राशि उनके पूरे परिवार के जीवन को बदल देगी।
उन्होंने कहा कि पैसे से खुशी नहीं खरीदी जा सकती है, लेकिन यह उसमें मदद जरूर करता है। जैसा कि उनके माता-पिता के लिए यह कठिन था और कड़ी मेहनत के बाद से वे बहुत कम राशि अर्जित कर पाते थे। अब यह जीत उनके सभी परिवार की सभी जरूरतों को पूरा करने का एक बहुत अच्छा मौका होगी।
हालांकि, फीनिक्स मुवा थाई पेरिस और वेनम ट्रेनिंग कैंप थाईलैंड के प्रतिनिधि बताते हैं कि उनकी प्राथमिक प्रेरणा हमेशा जीतने की थी।
यदि वह कैसे भी उसमें जीत हासिल करते हैं तो वह अपने डिविजन में दुनिया के नंबर एक एथलीट के रूप में स्थापित हो जाएंगे।
सना का कहना है कि वह पैसे के लिए फाइट नहीं करते हैं। फिर भी, मिलियन डॉलर केक का एक बहुत बड़ा टुकड़ा है। वह फाइट अपने जुनून के लिए करते हैं और यह उनके खून में बसती है।
ONE Championship का वर्ल्ड ग्रांड प्रिक्स दुनिया के सबसे अच्छा एथलीटों वाला विश्व का सबसे बड़ा टूर्नामेंट है। ऐसे में वह आज कहते हैं कि वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ किकबॉक्सरों में से एक हैं।