ONE Warrior Series का पाकिस्तान का यादगार सफर
कैसे एक व्यक्ति पाकिस्तान के लाहौर से करीमाबाद की हुंजा घाटी का सफर तय कर सकता है।
ये एक साधारण सवाल की तरह प्रतीत होता है लेकिन इसे समझ पाना उतना ही कठिन है। आखिरकार मेरे विचारों की ट्रेन एक सीधी रेखा तो बिल्कुल नहीं है, बाद में पता चला कि हमारी ये यात्रा पाकिस्तान से होकर नहीं गुजरी थी। यहाँ आप देख सकते हैं कि क्या हुआ।
दिसंबर में ONE Warrior Series की टीम लाहौर में अनीता “द आर्म कलेक्टर” करीम के साथ फिल्म शूट कर रही थी, अनीता पाकिस्तान की पहली प्रोफेशनल महिला मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट हैं।
फरवरी 2019 में सर्वसम्मत निर्णय से जीत दर्ज करने के बाद अनीता हुंजा घाटी की स्टार बन गई थीं।
वो घर वापस लौटीं और इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर उनका फूलों की माला, गुलाब की पत्तियों की वर्षा और नृत्य से स्वागत किया गया।
पाकिस्तान और चीन की सीमाओं के बीच के इस पहाड़ी इलाके को सुंदर दृश्यों के लिए जाना जाता है।
विशाल पहाड़ियों के बीच स्थित हुंजा घाटी में महिला सशक्तिकरण एक नए स्तर पर जा पहुंचा है।
खेलों, शिक्षा और रोजगार में महिलाओं का सामान्यीकरण हुंजा के जंगलों, फल बागानों और पहाड़ियों के लिए भी एक प्रेरणा बन चुका है।
जीत के लिए अनीता का जो स्वागत हुआ उससे हुंजा में महिला एथलीट के स्टार बनने की अहमियातता को दर्शाता है। हम अनीता के होमटाउन में उन्हें आकर्षण का केंद्र बनाना चाहते थे।
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वहाँ पहुंचने के लिए हमने इस्लामाबाद तक 4-5 घंटे के लिए ड्राइव किया जिससे हमें हुंजा के लिए अगली फ्लाइट मिल सके।
एयरपोर्ट पर समय से पहले पहुंचने के बाद भी हमें ये जानकार निराशा हाथ लगी कि हमारी फ्लाइट कैंसिल हो गई है।
इससे हमारे सामने केवल 2 ही विकल्प बचे थे, हम 20 घंटे की यात्रा कर हुंजा जाते या फिर इस्लामाबाद में ही अनीता की फिल्म को शूट करते।
इस यात्रा में हमें किसी चीज में देरी हो जाने से कोई फायदा नहीं मिलने वाला था, हुंजा में बिताने के लिए हमारे पास केवल 2-3 दिन ही थे। अगर हम 20 घंटे ड्राइव करते हुए वहाँ जाते तो हमें फिल्मिंग के लिए कम समय मिल पाता, हमने इसी प्लान को चुना और रोड पर निकल पड़े।
हुंजा के लिए एक ही रास्ता था जो पहाड़ियों के बीच एक घुमावदार रास्ता था जिसे काराकोरम हाईवे कहा जाता है।
एक ऐसे रास्ते पर 20 घंटे का सफर करना जहाँ सड़क पर एक कार मुश्किल से आ रही थी, सोच पाना ही मुश्किल है। वहाँ सड़कों के किनारे रेलिंग नहीं थी और ना ही निशान थे जिससे एक झटके में 100 फुट नीचे गर जाने का डर हर समय बना रहा।
रात में अन्य गाड़ियों को ओवरटेक करना उसे दुनिया की सबसे खतरनाक सड़कों में से एक बना रहा था। ये कोई चौंकाने वाली बात नहीं थी कि आखिर क्यों हमारी टीम इस सफर में ठीक से सो नहीं पाई थी।
रास्ते में कई सुरक्षा चौकियां भी पड़ीं, हमारे पास अभी कागज़ मौजूद थे और लगातार उनकी जांच कराना हमारे इस सफर को और भी लंबा बना रहा था।
हम दोपहर 12:30 बजे लाहौर से निकले थे और अगली सुबह 7:30 बजे वहाँ पहुंचे। इतने लंबे सफर के कारण हम पहले ही समय से पीछे चल रहे थे, इसलिए हमने ठीक सुबह 9 बजे फिल्मिंग शुरू करने का प्लान तैयार किया।
फिल्मिंग शुरू करने से पहले हमें थोड़ा समय मिला और इस दौरान सभी ने हल्की नींद ली। ये सब रात तक जारी रहा और आखिर में हमें वो कंटेंट मिल चुका था जिसकी हमें जरूरत थी। इसमें चीन से आ रहे सिल्क रोड पर अनीता के शॉट्स और उनके परिवार के शॉट्स शामिल रहे। इस रोड का अपना एक अलग ही इतिहास रहा है।
आखिर में हमारा काम पूरा हो चुका था और टीम को उम्मीद थी कि इस बार उनका सफर कहीं अधिक आसान रहने वाला है। प्लान गिलगिट तक ड्राइव करके पहुंचने का था जहाँ नजदीकी एयरपोर्ट स्थित था जिससे हम फ्लाइट लेकर अपने सफर को छोटा कर सकते थे।
गिलगिट केवल एक घंटे की दूरी पर था और बाकी बचे हुए समय को हमारी टीम आराम करने के लिए प्रयोग में ले सकती थी।
हवाई यात्रा के प्रति हमें चिंता हो रही थी कि किस तरह हमारी पिछली फ्लाइट रद्द हो गई थी। इतनी ऊंचाई पर गिलगिट से फ्लाइट्स का आवागमन जहाँ बादलों के कारण दृश्यता कम ही होती है, हमारे लिए इस सफर को दयनीय बना रहा था।
बर्फ़ गिरनी पहले ही शुरू हो चुकी थी लेकिन अभी भी आसमान काफी हद तक साफ था इसलिए हमने एयरपोर्ट का अपना सफर जारी रखा। लगातार टीम ये उम्मीद कर रही थी कि इस बार हमारी फ्लाइट रद्द ना हो।
गिलगिट पहुंचने के बाद हमारी उम्मीदों पर एक बार फिर पानी तब फिर गया जब हमें पता चला कि फ्लाइट्स को अनिश्चित काल के लिए रोक दिया गया है। परिस्थितयां और भी खराब तब हो गईं जब हमें पता चला कि अगले दिन तक वहाँ से कोई फ्लाइट ही नहीं थी।
क्रिस्मस के समय गिलगिट में फंसे रहकर किसी को भी अच्छा महसूस नहीं हो रहा था और ना ही हमारा बजट इतना था जिससे हम एक और दिन यहाँ रुक सकें। इसी कारण हमने कई वाहनों की सवारी करते हुए लाहौर तक का लंबा सफर तय करने का फैसला लिया।
विदेश में ड्राइवर ढूंढ पाना और हमारा सामान इस सफर को और भी मुश्किल बना रहा था। सौभाग्य से हमें इस ड्राइव में बाशिर अहमद का साथ मिला और उनकी मौजूदगी से हम तेजी से आगे बढ़ सकते थे।
इसके बाद भी हमें काराकोरम होते हुए एक बार फिर 20 घंटे का लंबा सफर तय करना था। करीब एक दिन बाद हम इस्लामाबाद पहुंचे। पांच घंटे की हवाई यात्रा में हम श्रीलंका होते हुए वापस सिंगापुर पहुंचे।
इसे पीछे मुड़कर देखने पर एहसास होता है कि ये हमारी सबसे दिलचस्प यात्राओं में से एक रही। हालांकि इस सफर को सुनकर ऐसा जरूर लगता है जैसे इससे हम तंग आ चुके थे लेकिन हमें बहुत से अच्छी चीजें भी वहाँ देखने को मिलीं।
विदेशी होने के चलते वहाँ के वातावरण, पाकिस्तानी लोगों लोगों द्वारा सत्कार, उनकी सच्चाई से बहुत अच्छा महसूस हुआ। हम जब हुंजा पहुंचे तो हमने ना तो संघर्ष देखा और ना ही ऐसे किसी संघर्ष का सामना किया जैसा विदेशी मीडिया दिखाती है।
बढ़ते पर्यटन से वहाँ की स्थानीय संस्कृतियाँ आगे बढ़ी हैं, इससे हमें हुंजा घाटी से काफी हद तक लगाव हो गया है। भविष्य में हम वहाँ के एक और सफर के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।
OWS का प्रत्येक नया सीजन आगे बढ़ने के नए मौके साथ लेकर आता है, मुझे अक्सर याद दिलाया जाता है कि यात्रा का अपना प्रतिफल होता है।
कैसे हमने पाकिस्तान में सामने आईं चुनौतियों का सामना किया, वो OWS टीम के प्रत्येक मेंबर के प्रोफेशनलिज्म और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुझे उनके प्रयासों पर गर्व है और मैं 2020 के अगले सफर के लिए उत्साहित हूँ।
पाकिस्तान के सफर के बारे में ज्यादा जानने के लिए ONE Warrior Series Season 5 को देखना ना भूलें।
रिच फ्रैंकलिन ONE Championship के वाइस प्रेजिडेंट और ONE Warrior Series के CEO हैं। वो कई बार के मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स वर्ल्ड चैंपियन रह चुके हैं। रिच फ्रैंकलिन की ONE Warrior Series के लेटेस्ट एपिसोड्स का प्रसारण देखने के लिए आप ONE Super App पर जा सकते हैं।
सिंगापुर | 28 फरवरी | ONE: KING OF THE JUNGLE | टिकेट्स: यहां क्लिक करें
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